एक साल में मेरठ समेत यूपी की 24 जेलों में 28 बंदियों ने की आत्महत्या, यहां तीन साल में तीन ने दी जान

चित्रकूट की घटना के बाद प्रदेश की जेलों में एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं लेकिन जेल प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है। आंकड़े के बताते हैं कि एक साल में यूपी के 24 जेलों में 28 बंदी आत्महत्या कर चुके हैं।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 12:44 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 12:44 PM (IST)
एक साल में मेरठ समेत यूपी की 24 जेलों में 28 बंदियों ने की आत्महत्या, यहां तीन साल में तीन ने दी जान
एक साल में यूपी के 24 जेलों में 28 बंदी कर चुके हैं आत्‍महत्‍या ।

सुशील कुमार, मेरठ। चित्रकूट की घटना के बाद प्रदेश की जेलों में एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं, लेकिन जेल के अंदर होने वाली आत्महत्या की घटनाओं को लेकर जेल प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि एक साल में प्रदेश की 24 जेलों में 28 बंदी आत्महत्या कर चुके हैं। इसकी मजिस्ट्रेट जांच भी होती है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि आखिर बंदी ने आत्महत्या क्यों की? हालांकि चित्रकूट की घटना के बाद डीजी जेल आनंद कुमार ने सभी जेलों की सुरक्षा बढ़ाने का भरोसा दिलाया है।

चित्रकूट जेल में गैंगवार में तीन कुख्यात के मारे जाने से शासन में हड़कंप मचा हुआ है, लेकिन जेल के अंदर प्रत्येक वर्ष होने वाली आत्महत्या की घटना पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।

आंकड़ें बताते हैं कि वर्ष 2020 में मेरठ, वाराणसी, बाराबंकी, शाहजहांपुर, बरेली, गोरखपुर झांसी, नोएडा व मथुरा समेत 24 जेलों में 28 बंदी आत्महत्या कर चुके हैं। केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ में भी तीन बंदी जान दे चुके हैं, जबकि लखनऊ और प्रयागराज की नैनी जेल में दो-दो बंदी आत्महत्या कर चुके हैं। मेरठ की चौधरी चरण सिंह जेल में 2016 में एक, 2018 और 2020 में एक-एक बंदी ने आत्महत्या की।

बंदियों के आत्महत्या करने पर जेल प्रशासन का रटा-रटाया जवाब होता है कि बंदी अवसाद में था। कई मामलों में स्वजन जेल प्रशासन पर हत्या तक का आरोप भी लगा चुके है। पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। हालांकि जेल प्रशासन ने इसबार जेल स्टाफ को सख्त आदेश दिये हैं कि वे बंदियों का उत्पीड़न न करें। वरिष्ठ जेल अधीक्षक बीडी पांडेय का कहना था कि ज्यादातर बंदी बाथरूम में आत्महत्या कर लेते हैं।

डीजी जेल आनंद कुमार ने कहा- चित्रकूट की घटना के बाद प्रदेश की सभी जेलों में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। ताकि बंदियों के पास कोई भी गैरकानूनी सामान नहीं पहुंच पाए। आत्महत्या के मामले ज्यादातर अवसाद में होते हैं। कई बार बंदी अपने किए कृत्यों पर पछतावा करने लगता है। उसके लिए जेल में बंदियों की काउंसलिंग कराई जा रही है। सभी जेल अधीक्षकों को बंदियों की सुरक्षा के आदेश दिए हैं। 

chat bot
आपका साथी