BSNL को घाटे से उबारने के लिए 2275 कर्मचारियों ने ली VRS Meerut News
भारतीय संचार निगम लिमिटेड में मेरठ एसएसए में काम करने वाले 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले 76 प्रतिशत कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की राह चुन ली है।
मेरठ, [विनय विश्वकर्मा]। घाटे से उबारने के लिए सरकार द्वारा भारतीय संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को दिया गया वीआरएस का विकल्प कर्मचारियों को भा गया है। मेरठ एसएसए में काम करने वाले 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले 76 प्रतिशत कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की राह चुन ली है। ये 31 जनवरी को रिटायर हो जाएंगे। माना जा रहा है कि इसकी वजह से बीएसएनएल का बोझ कुछ हल्का होगा। मेरठ में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वालों में तीन तो डीजीएम रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं। आइए, इस रिपोर्ट में जानते हैं बीएसएनएल के अर्श से फर्श पर आने और फिर उसके बाद अब कर्मचारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से जुड़े कुछ अहम तथ्य...
30000 करोड़ मिल जाएंगे, लीज पर देना होगा संसाधन
देशभर में बीएसएनएल के ऑप्टिकल फाइबर केबल का जाल 8.50 लाख किमी लंबा है। दूसरे नंबर पर जियो ने 3.2 लाख किमी ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाया है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि अगर बीएसएनएल सिर्फ इसी संसाधन को लीज पर दे तो 30 हजार करोड़ रुपये कमा सकती है। इससे लगभग 14 हजार करोड़ के कर्ज, वीआरएस पर अनुमानित 6500 करोड़ के खर्च के साथ दूसरे खर्चो को भी पाटा जा सकता है।
3 डीजीएम ले रहे हैं वीआरएस
केंद्र सरकार ने गुजरात मॉडल पर पिछले माह बीएसएनएल व एमटीएनएल के पुनरुद्धार के लिए 69 हजार करोड़ पैकेज का एलान किया था। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के विकल्प को 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले कर्मचारियों से शानदार रेस्पांस मिला है। मेरठ से ए ग्रेड में वीआरएस लेने वाले डीजीएम जेडी शर्मा, मनोज शर्मा व पीके अग्रवाल हैं।
4 ग्रेड में बांटे वीआरएस
कर्मचारियों को चार ग्रुप में बांटा गया है। जिसमें ए ग्रेड में डीजीएम, बी ग्रेड में एसडीओ, जूनियर टेलीकॉम आफिसर, एकाउंट आफिसर व जूनियर एकाउंट आफिसर शामिल हैं। वहीं, सी ग्रेड में जूनियर इंजीनियर, टेलीकॉम टेक्नीशियन व बाबू और डी ग्रेड में एटीटी को शामिल किया गया है। 31 जनवरी को वीआरएस लेने वाले सभी सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बाद एक फरवरी से वह पेंशन के हकदार होंगे।
19 साल के सफर में कहां से कहां आ गए
बीएसएनएल की नींव सितंबर, 2000 में रखी गई थी और यह एक अकटूबर, 2000 से ऑपरेशनल हो गई। 2004-05 तक बीएसएनएल खूब फला-फूला। 2004-05 में कंपनी ने 49 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। पहली बार 2009-10 में यह कंपनी घाटे में गई और 1823 करोड़ का घाटा दर्ज किया गया। आज यह समग्र घाटा बढ़कर 90 हजार करोड़ को भी पार कर चुका है। दूसरी ओर बीएसएनएल की संपत्तियां कम नहीं हैं। देशभर में बीएसएनएल के लगभग 15000 भवन और 11000 एकड़ भूमि है। एक बार बीएसएनएल की संपत्तियों के एक तिहाई हिस्से का आकलन 65 हजार करोड़ के आसपास किया गया था। हालांकि बीएसएनएल के खाते में इनकी कुल कीमत 975 करोड़ ही है। दिल्ली के जनपथ स्थित मुख्यालय की ही वैल्यू आज 2500 करोड़ के आसपास आंकी जाती है।