पांच साल में 220 करोड़ खर्च, फिर भी शहर बदहाल

भले ही जनता खराब सड़कों पर चलने को मजबूर हो। अंदरूनी गलियां अब भी टूटी पड़ी हों। खराब ड्रेनेज सिस्टम से जलभराव झेलना पड़ रहा हो।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 06:28 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 06:28 AM (IST)
पांच साल में 220 करोड़ खर्च, फिर भी शहर बदहाल
पांच साल में 220 करोड़ खर्च, फिर भी शहर बदहाल

मेरठ, जेएनएन। भले ही जनता खराब सड़कों पर चलने को मजबूर हो। अंदरूनी गलियां अब भी टूटी पड़ी हों। खराब ड्रेनेज सिस्टम से जलभराव झेलना पड़ रहा हो। लेकिन नगर निगम ने गत पांच वर्षो में महानगर की कालोनियों की सड़क, नाली और खड़ंजे (इंटरलाकिग रोड) के कार्य कराने में पैसा खर्च करने में तनिक भी कोई कोताही नहीं की। ये हम नहीं कह रहे, बल्कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में नगर निगम अधिकारियों ने खुद बयां किया है। नगर निगम की जनसूचना अधिकारी ने जानकारी दी है कि गत पांच वर्षो में लगभग 220 करोड़ रुपये सड़क, नाली और खड़ंजे बनाने के काम पर खर्च किए गए हैं।

दरअसल, नगर निगम ने वर्ष 2017 से 2021 तक शहर की कालोनियों में सड़क, नाली और खड़ंजा (इंटरलाकिग रोड) के कार्य पर प्रति वर्ष कितना व्यय किया है। यह जानकारी आरटीआइ कार्यकर्ता मनोज चौधरी ने नगर निगम की जनसूचना अधिकारी से मांगी थी। यह आरटीआइ उन्होंने अपने वार्ड 64 की बदहाली को लेकर लगाई थी। अपने वार्ड के साथ ही महानगर में इन कामों पर खर्च हुई धनराशि का ब्योरा भी मांगा था। जब उन्हें ब्योरा उपलब्ध कराया गया तो वे हैरान रह गए। आरटीआइ कार्यकर्ता ने कहा कि अकेले उनके वार्ड में लगभग दो करोड़ के काम पांच वर्ष में कराए जाने का उल्लेख निगम ने किया है, जबकि कोई काम नजर नहीं आ रहा है। निगम ने दावा किया है कि वार्ड 64 में थापरनगर, बच्चा पार्क, फिल्मिस्तान नाला, व मिशन कंपाउंड वाली गली के नाले की आरसीसी दीवार का निर्माण कराया गया है। साथ ही थापर नगर, पटेल नगर, सोतीगंज में कई सड़क व इंटरलाकिग के काम भी कराए गए हैं। आरटीआइ कार्यकर्ता ने कहा कि यह स्थिति विश्वास करने वाली नहीं है। कमिश्नर से गत पांच वर्ष में निगम द्वारा खर्च की गई धनराशि के सापेक्ष कराए गए इन कामों की जांच कराने की मांग करेंगे। क्योंकि अकेले एक वार्ड का मामला नहीं है। शहर के 90 वार्डों में पानी की तरह पैसा बहाया गया है।

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नगर निगम ने खर्च की इतनी धनराशि

वर्ष खर्च

2017-18 6420.83 लाख

2018-19 8136.02 लाख

2019-20 3248.02 लाख

2020-21 4571.70 लाख

2021-22 157.62 लाख

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