मेरठ की मासूम को 22 करोड़ के टीके की जरुरत : मुंबई की तीरा प्रकरण की तर्ज पर ही स्वजन को मदद की आस
दुर्लभ बीमारी एसएमए (स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी) से जूझ रही ब्रह्मपुरी में मास्टर कालोनी की ईशानी को बचाने के लिए स्वजन मुंबई की तीरा प्रकरण की तर्ज पर ही क्राउड फंडिंग से आस लगाए हैं। इसके लिए उन्होंने क्राउड फंडिंग वेबसाइट की मदद ली है।
मेरठ, जेएनएन। दुर्लभ बीमारी एसएमए (स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी) से जूझ रही ब्रह्मपुरी में मास्टर कालोनी की ईशानी को बचाने के लिए स्वजन मुंबई की तीरा प्रकरण की तर्ज पर ही क्राउड फंडिंग से आस लगाए हैं। इसके लिए उन्होंने क्राउड फंडिंग वेबसाइट की मदद ली है। उनके इस प्रयास से मदद आनी भी शुरू हो गई है।
पिता अभिषेक वर्मा ने बताया कि ईशानी को एसएमए जैसी दुर्लभ बीमारी से ग्रसित होने का पता जब चला तो पूरा परिवार अवाक रह गया। बीमारी दुर्लभ होने के साथ-साथ इलाज का खर्च भी उनके सामर्थ्य से बाहर है लेकिन, तीरा के उपचार के लिए जिस तरह लोग आगे आए उसमें उन्हें एक उम्मीद की किरण नजर आई है। इसके लिए उन्होंने भी तीरा के उपचार लिए फंड जुटाने वाली क्राउड फंडिंग वेबसाइट इम्पैट गुरु व मिलाप का सहारा लिया है। जहां पर उन्होंने ईशानी की परेशानी बताकर लोगों से मदद की अपील की है। जिस पर अलग-अलग जगहों से पैसा जमा होना शुरू हो गया है। अभिषेक ने बताया कि 19 फरवरी से मिलाप के द्वारा की गई अपील पर अब तक 80 हजार से अधिक धनराशि जुट गई है। वहीं इंपैक्ट गुरु वेबसाइट से भी लोगों का सहयोग मिलना शुरू हो गया है।
ईशानी का विदेश भेजा सैंपल : अभिषेक ने बताया कि ईशानी में एसएमए की पुष्टि के बाद उसका उपचार एम्स में शुरू कर दिया। इसकी एक वजह यह भी बताई कि सर गंगाराम अस्पताल का उपचार महंगा होने की वजह से उन्होंने यह फैसला लिया। 18 फरवरी को उनके पास एम्स से ईशानी का सैंपल विदेश भेजे जाने के लिए फोन आया। जिसके बाद 20 फरवरी को ईशानी का सैंपल एम्स में लिया गया। चिकित्सकों ने 22 फरवरी को उसका सैंपल विदेश भेजने की बात कही है। अभिषेक ने बताया चिकित्सकों ने यह सैंपल इसलिए लिया जिससे पता लगाया जा सके कि जोल्जेंसमा इंजेक्शन ईशानी के लिए उपयुक्त है कि नहीं।
कितनी गंभीर है यह बीमारी : एसएमए तंत्रिका तंत्र से संबंधी दुर्लभ बीमारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक आनुवंशिक बीमारी है जो जीन में गड़बड़ी के कारण अगली पीढ़ी में आ जाती है। दरअसल, इंसानों के शरीर में एक जीन होता है जो प्रोटीन बनाता है। इसी प्रोटीन के जरिये मांसपेशियां और तंत्रिकाएं जीवित रहती हैं। जिन बच्चों के शरीर में यह जीन मौजूद नहीं होता उनके दिमाग की तंत्रिका कोशिकाएं और रीढ़ की हड्डी कमजोर होने लगती है। ऐसा होने पर दिमाग मांसपेशियों को नियंत्रित करने के लिए संदेश भेजने की प्रक्रिया बंद कर देता है। बच्चा कोई हरकत नहीं कर पाता।
इतना महंगा क्यों है यह इंजेक्शन
जीन थैरेपी मेडिकल जगत में एक बड़ी खोज है। इसकी एक डोज से पीढ़ियों तक पहुंचने वाले जानलेवा जेनेटिक बीमारी को ठीक किया जा सकता है। निर्माता कंपनी ने इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपये रखी है। टैक्स लगाकर इसकी कीमत 22.5 करोड़ हो जाती है।
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