अरहर की खेती के साथ किसान अन्य फसलों को भी उगाए
मानसून की दस्तक के साथ ही किसान अरहर की बोआई में लग चुके हैं ले
जागरण संवाददाता, मऊ : मानसून की दस्तक के साथ ही किसान अरहर की बोआई में लग चुके हैं लेकिन किसानों को इसकी खेती के साथ कई अन्य फसल भी उगा सकते है। अरहर के साथ ज्वार, बाजारा, उर्द आदि फसलों की खेती की जाती है। इसके लिए बलुई दोमट और दोमट भूमि में अरहर की खेती कर अधिक उपज आसानी से लिया जा सकता है। अरहर की बुआई के लिए जुलाई का अंतिम सप्ताह काफी उपयुक्त होता है।
कृषि विज्ञान केंद्र पिलखी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. विनय कुमार सिंह ने बताया कि मानसून आ गया हैं। बारिश की शुरुआत हो चुकी है। इस समय किसान अपने खेतों में अरहर के फसल की बुआई कर सकते है। इसके लिए अच्छी गुणवत्ता वाली प्रजातियों का चयन करना चाहिए। इस क्रम में नरेंद्र अरहर-1 और नरेंद्र 2 मालवीय विकास, मालवीय चमत्कार और बहार की प्रजातियों की बुआई कर सकते है। सभी प्रजातियां 240 से 270 दिन की अवधि में पक कर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार 25 से 30 कुंतल प्रति हैक्टर होती है। एक हैक्टेयर के लिए 8-10 किलो बीज की आवश्यकता पडती हैं। अरहर में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुआई के 72 घंटे अंदर पेंडामेंथलीन 30 ई सी 3.3 ली र्द्र्र्रवा 600 ली पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। अंकुरण के उपरांत 100 ग्राम इमजाथापर खरपतवारनाशी दवा 500 से 600 ली पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से प्रभावी नियंत्रण कर के अरहर का अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते है।