आयोग का चाबुक-- अधूरे रहेंगे सियासतदानों के इफ़्तार के मंसूबे
स बार संयोग ऐसा कि इस लोकसभा क्षेत्र में जब चुनाव चरम पर होगा पाक माह रमजान प्रारंभ होगा। ऐसे में मतदाताओं को लुभाने के लिए सियासतदां पहले की तरह इफ्तार पार्टी का आयोजन तो दूर शिरकत भी न कर सकेंगे।
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : इस बार संयोग ऐसा कि इस लोकसभा क्षेत्र में जब चुनाव चरम पर होगा, पाक माह रमजान प्रारंभ होगा। ऐसे में मतदाताओं को लुभाने के लिए सियासतदां पहले की तरह इफ्तार पार्टी का आयोजन तो दूर शिरकत भी न कर सकेंगे। ऐसा करना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा। चुनाव आयोग के पास ऐसे समारोह में शामिल होने वाले राजनीतिक व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई का अधिकार है।
निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव हेतु 10 मार्च की शाम को आदर्श आचार संहिता जारी कर दिया है। इस लोकसभा क्षेत्र में अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होगा। उधर पाक माह रमजान भी 06 या 07 मई को दस्तक देगा। उन दिनों हरेक राजनीतिक दल या गठबंधन अपने प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार चुका होगा। चुनाव प्रचार भी चरम पर होगा। इसके चलते प्रेक्षकों एवं प्रशासन सहित खुफिया विभाग भी बेहद सजग ही नहीं होगा वरन हर छोटे और बड़े आयोजन पर निगाह गड़ाए रखेगा। ऐसे में पूर्व की परंपरा के अनुसार राजनीतिक दलों द्वारा रोजेदारों से इफ्तार पार्टी के बहाने मिलने की मंशा अधूरी रहेगी। दरअसल आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने पर ऐसे आयोजनों के बाबत बेहद कड़े और स्पष्ट नियम हैं। आयोग की मंशा के अनुसार हरेक ऐसे आयोजन या समारोह को किसी भी रूप में राजनैतिक प्रचार-प्रसार का मंच नहीं बनाया जा सकता है। किसी प्रकार का वाह्य प्रदर्शन भी प्रतिबंधित है। घोषित प्रत्याशी तो दूर, कोई राजनैतिक नेता या कार्यकर्ता ऐसे आयोजनों में भाग नहीं ले सकता है। उपजिलाधिकारी डा. सीएल सोनकर इस बाबत लागू नियम स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि आम एवं गैर राजनीतिक व्यक्ति ऐसे आयोजन तो कर सकता है पर शर्त यह है कि इसमें कोई भी राजनीतिक व्यक्ति भाग न ले। उक्त आयोजक को भी पूर्वानुमति प्राप्त करना अनिवार्य है। आयोजन के दौरान आचार संहिता का अक्षरश: अनुपालन करना होगा। आचार संहिता के साथ ही धारा 144 स्वत: प्रभावी होने के चलते आयोजन के लिए तमाम शर्तो का पूरा किया जाना अनिवार्य बताते हैं।