अक्टूबर माह से शुरू होगा पशुओं का टीकाकरण

जागरण संवाददाता मऊ खुरपका मुंहपका व गलाघोंटू रोग से पशुओं को बचाने के लिए विभाग क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 05:18 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 05:48 PM (IST)
अक्टूबर माह से शुरू होगा पशुओं का टीकाकरण
अक्टूबर माह से शुरू होगा पशुओं का टीकाकरण

जागरण संवाददाता, मऊ : खुरपका, मुंहपका व गलाघोंटू रोग से पशुओं को बचाने के लिए विभाग की तरफ से कवायद शुरू कर दी गई है। अक्टूबर माह से युद्धस्तर पर अभियान चलाकर जनपद में पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा। इसके लिए नौ ब्लाकों में कुल 27 टीमें गठित की गई है। अभी तक वैक्सीन उपलब्ध न होने से सारी प्रक्रियाएं पूरी नहीं हो पाई हैं। विभाग शासन से वैक्सीन के लिए पत्राचार कर चुका है।

जनपद में 3.66 लाख पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विभाग की मानें तो शासन की तरफ से 1.18 लाख वैक्सीन प्राप्त हो गई हैं। अभी शेष वैक्सीन के आने का इंतजार किया जा रहा है। विशेषकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में युद्धस्तर पर यह अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान अक्टूबर से शुरू होकर 45 दिन तक अनवरत चलेगा। हर ब्लाकों में तीन टीमों का गठन किया गया है। एक टीम में पशु चिकित्साधिकारी, पशुधन प्रसार अधिकारी, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व पशुमित्र शामिल रहेंगे।

पशुओं में लगने वाला यह जीवाणु जनित रोग संक्रमित है और तेजी से फैलता है। अगर लक्षण का पता लगने के बाद पशुओं का शीघ्र इलाज शुरू न किया जाए तो 24 घंटे के भीतर पशु की मौत हो जाती है। यह रोग 'पास्चुरेला मल्टोसीडा' नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह जीवाणु सांस नली तंत्र के ऊपरी भाग में मौजूद होता है। मौसम परिवर्तन के कारण पशु मुख खुर (गलाघोंटू) रोग की चपेट में आ जाता है।

गलाघोंटू रोग के लक्षण...

इस रोग से ग्रस्त पशु को अचानक तेज बुखार हो जाता है। बुखार की चपेट में आने से रोगी पशु सुस्त रहने लगता है तथा खाना-पीना छोड़ देता है। पशु की आंखें भी लाल रहने लगती हैं। उसे सांस लेने में भी दिक्कत होती है। उसके मुंह से लार गिरने लगती है। नाक से स्त्राव बहना तथा गर्दन व छाती पर दर्द के साथ सोजिश आना मुख्य लक्षण है।

रोकथाम..

-पशुओं को हर वर्ष बरसात के इस मौसम में गलघोंटू रोग का टीका लगवाएं।

-बीमार पशु को अन्य पशुओं से दूर रखें क्योंकि यह तेजी से फैलने वाली जानलेवा बीमारी है।

- जिस जगह पर पशु की मृत्यु हुई हो वहां कीटाणुनाशक दवाइओं का छिड़काव किया जाए।

-पशुओं को बांधने वाले स्थान को स्वच्छ रखें तथा रोग की संभावना होने पर तुरंत पशु चिकित्सकों से संपर्क करें।

उपचार ...

यदि इस बीमारी का पता लगने पर उपचार शीघ्र शुरू किया जाए तो इस जानलेवा रोग से पशुओं को बचाया जा सकता है। एंटी बायोटिक जैसे सल्फाडीमीडीन आक्सीटेट्रासाइक्लीन और क्लोरोम फानीकोल एंटी बायोटिक का इस्तेमाल इस रोग से बचाव के साधन हैं। टीकाकरण के लिए अभी तक वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पाई है। अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह से उपलब्ध वैक्सीन के अनुसार टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा। शेष वैक्सीन जल्द आ जाएगी और टीकाकरण प्रभावित नहीं होगा।

-डा. एम प्रसाद, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।

chat bot
आपका साथी