ट्रेन ने एक दर्जन बंदरों को रौंदा, नौ की मौत

जागरण संवाददाता मऊ परदहां ब्लाक के किन्नूपुर गांव के समीप शनिवार की सुबह एक दर्जन बं

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 05:45 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 05:45 PM (IST)
ट्रेन ने एक दर्जन बंदरों को रौंदा, नौ की मौत
ट्रेन ने एक दर्जन बंदरों को रौंदा, नौ की मौत

जागरण संवाददाता, मऊ : परदहां ब्लाक के किन्नूपुर गांव के समीप शनिवार की सुबह एक दर्जन बंदर गोरखपुर से वाराणसी जा रही इंटरसिटी ट्रेन की चपेट में आ गए। इससे नौ बंदरों की मौके पर ही ट्रेन से कटकर मौत हो गई जबकि तीन गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल बंदरों के मुंह, पैर व हाथ में चोट लगी। ग्रामीणों ने घायल बंदरों के इलाज के लिए पशु चिकित्सक डा. एके यादव को बुलाया और उनसे उनका प्राथमिक उपचार कराने के बाद तीनों को छोड़ दिया। बाद में राय-मशविरा कर ग्रामीणों ने मृत बंदरों के शवों को गांव के तालाब के किनारे दफना दिया।

किन्नूपुर गांव के समीप रेल की पटरी पर बंदरों का एक झुंड काफी देर से उछल कूद कर रहा था। सुबह लगभग सात बजे अचानक एक बंदर के छोटा बच्चे का दोनों पैर कूदने-फांदने के दौरान ट्रैक में फंस गया। उसके चीखने-चिल्लाने पर बंदरों को झुंड बच्चे को ट्रैक से छुड़ाने में जुट गया। काफी मशक्कत के बावजूद वे छोटे बच्चे को नहीं निकाल पाए। बंदर बच्चे को निकालने की कोशिश में लगे ही थे कि तब तक वाराणसी जाने वाली इंटरसिटी ट्रेन आ गई। इसकी वजह से एक दर्जन बंदर तेजी से गुजरी ट्रेन की चपेट में आ गए। इसमें नौ बंदरों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि तीन घायल हो गए। बंदरों को छटपटाता देख आस-पास के लोग मौके पर पहुंच गए। सूचना पर तहसीलदार सदर संजीव यादव व पुलिस की 100 डायल टीम भी वहीं पहुंच गई। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के निर्देश पर पशु चिकित्सक डा. एके यादव मौके पर पहुंचे और घायल बंदरों का नगर पालिका के कर्मचारियों की सहायता से उपचार किया। इसमें दो छोटे बंदरों के हाथ-पैर जहां काफी जख्मी हो गए थे वहीं एक का मुंह फट गया था। उपचार के कुछ देर बाद घायल बंदरों को छोड़ दिया गया जो अपने साथियों के साथ वहां से चले गए। इसके बाद क्षेत्र के विवेक सिंह एडवोकेट, मंतोष पांडेय, अंकित पांडेय, आदर्श सिंह, अंशुमान सिंह, सोनू यादव, राहुल सिंह, अनुभव पांडेय ने मिलकर मृत सभी बंदरों को बकायदा कफन में लपेटने के बाद गांव स्थित तालाब के किनारे ले गए। यहां गड्ढा खोदकर सभी को दफन कर दिया गया। इस दौरान इन लोगों ने वन विभाग के अधिकारी को फोन भी किया लेकिन उनका फोन नहीं उठा। इससे लोग आक्रोशित रहे।

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