चिता में किसान, खेत में पानी पक गया है धान

जागरण संवाददाता थानीदास (मऊ) खेतों में धान की फसल पक गई है। बालियां लटक गई है। बावजू

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 04:49 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 04:49 PM (IST)
चिता में किसान, खेत में पानी पक  गया है धान
चिता में किसान, खेत में पानी पक गया है धान

जागरण संवाददाता, थानीदास (मऊ) : खेतों में धान की फसल पक गई है। बालियां लटक गई है। बावजूद इसके कटाई नहीं हो पा रही है। इसे लेकर किसान बेहद चितित है। खेतों में पानी होने के चलते किसानों के माथे पर बल पड़ गए हैं। हार्वेस्टर से कटाई संभव नहीं होने के चलते श्रमिकों से कटाई कराना ही एकमात्र विकल्प है। उधर कटाई की राह में श्रमिकों की किल्लत बड़ी समस्या बनकर खड़ी है।

इसके पूर्व जब स्थिति अनुकूल थी तो कुछ दिनों के लिए धान की अगेती प्रजातियों की कटाई हुई। बाद में धान पक कर तैयार होने के बावजूद बारिश के चलते कटाई रुक सी गई थी। अब ऊंचे स्थानों पर खेतों का पानी सूख गया है। इसके चलते धान कटाई को लेकर किसानों में प्रतिस्पर्धा जैसी स्थिति निर्मित हो रही है। किसानों के लिए मजदूरों की कमी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। ग्रामीण क्षेत्र में छोटी जोत के ज्यादातर किसान हाथों से ही कटाई करवाते हैं कितु अब आधुनिक मशीनों का भी प्रचलन बढ़ गया है। अब हार्वेस्टर मशीनों से धान की कटाई एवं मिसाई करते देखा जा सकता है। किसानों को धान की कटाई एवं मिसाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। कटाई के लिए दूर तक मजदूरों को जाना पड़ता है। दूसरी और मांग बढ़ने से मजदूरी की दर भी बढ़ गई है। इससे किसानों को अतिरिक्त खर्च व्यय करना पड़ रहा है। धान कटाई के लिए महिला मजदूरी की दर 150 से 160 रुपये तक है। वहीं पुरुष मजदूरों का रेट 300 से 350 रुपये तक है।

आधुनिक तकनीक से भी हो रही कटाई

ज्यादातर लोग हाथ से ही धान कटाई कर रहे हैं। वहीं कुछ किसान आधुनिक तकनीक और मशीनों का सहारा ले रहे हैं। इस वर्ष थ्रेसर संचालकों ने भी रेट बढ़ा दिया है। थ्रेसर का प्रति घंटा किराया 1400 से 1500 रुपये कर दिया है। हार्वेस्टर से प्रति एकड़ कटाई 2500 रुपये हो गई है।

chat bot
आपका साथी