पालनकर्ता ही बने बेपरवाह तो कैसे लड़ेगें कोरोना की लड़ाई
सुबह के 9.30 बजे से लेकर ही शुरू हो जाती है बैंकों पर भीड़ का जुटना। न कहीं शारीरिक दूरी दिखेगी न सैनिटाइजेशन की व्यवस्था ही कहीं। मास्क भी इस भीड़ में किसी-किसी के चेहरे पर ही नजर आएगा।
जागरण संवाददाता, मऊ : सुबह के 9.30 बजे से लेकर ही शुरू हो जाती है बैंकों पर भीड़ का जुटना। न कहीं शारीरिक दूरी दिखेगी, न सैनिटाइजेशन की व्यवस्था ही कहीं। मास्क भी इस भीड़ में किसी-किसी के चेहरे पर ही नजर आएगा। यह नजारा देखते ही आप भयभीत हो जाएंगे। यही सोचेंगे कि कहीं 'कोरोना की कड़ाही में पॉपकार्न न बन जाए बैंकों की भीड़।' अगर कहीं कोई संक्रमित इस भीड़ में होगा तो क्या भयावह स्थिति होगी, कल्पना भी रोंगडे खड़े कर देगा।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर जहां सरकार व प्रशासन लोगों को जागरूक करने में लगा है, वहीं पुलिस प्रशासन भी वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सख्ती से लॉकडाउन के नियमों का पालन करा रहा है। बावजूद लोग इस जानलेवा महामारी के प्रति दिनोंदिन लापरवाह बनते जा रहे हैं। विशेष कर बैंकों पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है। बैंक पर वायरस के संक्रमण से बचने के लिए न तो लोग एहतियात और सतर्कता बरत रहे हैं और न ही बैंक प्रबंधन की तरफ से बैंक पर जुटने वाले भीड़ को देखते हुए लोगों में शारीरिक दूरी बनाने के लिए कोई व्यवस्था या दिशा निर्देशों का पालन करा पा रहे हैं।
कोपागंज प्रतिनिधि के अनुसार नगर क्षेत्र से सटे एसबीआई ब्रांच शाखा में रुपये के लेन-देन के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड रही है। यहां लॉकडाउन के नियमों की धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही है। उधर जन-धन खाते में 500 रुपये आने के बाद रुपये निकालने के लिए होड़ मची हुई है। लोगों का आशंका है कि लॉकडाउन के चलते जन-धन खाते में भेजा गया रुपया सरकार कहीं वापस न ले ले। रुपये निकालने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भारी संख्या में महिलाएं बैंक पर आ रहीं हैं। इसके चलते और भी स्थिति खराब होती चली जा रही है। भले ही घंटों इंतजार के बाद बैंक के अंदर घुसते ही लॉकडाउन के नियमों का कराया जा रहा है लेकिन बैंक के गेट पर धज्जियां उड़ रही हैं।