कहीं ताला बंद तो कहीं चारे की समस्या

किसानों की फसल को बर्बाद होने से बचाने और बेसहारा पशुओं को सहारा देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बनवाए गए पशु आश्रय स्थल स्थानीय तहसील क्षेत्र में महत्वहीन साबित हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jan 2019 06:31 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jan 2019 09:09 PM (IST)
कहीं ताला बंद तो कहीं चारे की समस्या
कहीं ताला बंद तो कहीं चारे की समस्या

जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : किसानों की फसल को बर्बाद होने से बचाने और बेसहारा पशुओं को सहारा देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बनवाए गए पशु आश्रय स्थल स्थानीय तहसील क्षेत्र में महत्वहीन साबित हो रहे हैं। पशु आश्रय स्थलों में कहीं ताला बंद है तो कहीं पशुओं के लिए चारे की समस्या है।

स्थानीय बाजार सहित तहसील क्षेत्र में जगह-जगह बेसहारा पशुओं को शरण देने के लिए सरकार के निर्देश पर पशु आश्रय स्थल की स्थापना की गई है। इसमें स्थानीय बाजार स्थित पशु आश्रय केंद्र का कभी ताला ही नहीं खुलता है। इससे पशु सड़क पर टहलते रहते हैं। इससे किसानों की फसल बर्बाद होती है। वहीं पशुओं को भी ठंड के मौसम में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार फतहपुर मंडाव स्थित पशु आश्रय केंद्र में बेसहारा पशुओं को शरण तो मिला है लेकिन वहां चारे व पानी की व्यवस्था नहीं होने के चलते पशुओं को भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। कभी-कभी कोई किसान चारा डाल भी देता है, तो वह पर्याप्त नहीं होता है। क्षेत्र के किसानों का मानना है कि अगर पशु आश्रय केंद्र का समुचित संचालन होने लगता तो बेसहारा पशुओं से फसल भी बर्बाद नहीं होता और बेसहारा पशुओं को सुरक्षित शरण भी मिल जाता।

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