चार चुनावों में आधी आबादी का जिले में बजा है डंका
जागरण संवाददाता मऊ जिले के प्रथम नागरिक का तमगा इस बार फिर महिला को मिलेगा। हालांकि
जागरण संवाददाता, मऊ : जिले के प्रथम नागरिक का तमगा इस बार फिर महिला को मिलेगा। हालांकि अब तक छह चुनावों में महिलाओं को चार बार पहली महिला होने का अवसर मिला है। वर्ष 1995 में हुए पहली बार के निर्वाचन में अध्यक्ष का पद पिछड़ी महिला के लिए आरक्षित हुआ था। हालांकि इसके पहले खैरूल बसर निर्वाचित अध्यक्ष थे। पहली बार हुए जिला पंचायत के चुनाव में गायत्री यादव पहली निर्वाचित अध्यक्ष चुनी गई थी।
ढाई वर्ष बाद इन पर अनियमितता का आरोप लगा था और इन्हें पदच्यूत कर राकेश सिंह अध्यक्ष बने थे। इस वर्ष महिला के लिए आरक्षण होने पर जनपद के कई दिग्गजों के घर की महिलाओं के मैदान में उतरने के कयास लगाए जा रहे हैं।
शासन ने शुक्रवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण जारी कर दिया। इसमें जनपद की सीट को महिला कर दिया गया है, जबकि पिछले बार हुए चुनाव में यह सीट पिछड़ी महिला के लिए आरक्षित थी। अब तक हुए जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण में यह सीट जहां एक बार केवल अनारक्षित हुई है, वहीं एक बार अनुसूचित जाति तथा तीन बार पिछड़ी महिला के लिए आरक्षण हुआ है। वर्तमान अध्यक्ष उर्मिला जायसवाल भी पिछड़ी महिला पद पर निर्वाचित हुई थी।
अखिलेश यादव की सरकार में इस सीट पर समाजवादी पार्टी की अंशा यादव निर्वाचित हुई थी। इनके एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होते ही सदस्यों ने अध्यक्ष अंशा यादव का विरोध कर दिया था। इसके बाद बसपा की उर्मिला जायसवाल को अध्यक्ष चुना गया। बाद में इन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। अब तक 2010-15 में अनारक्षित सीट रही। फिर 10 वर्ष बाद केवल महिला के लिए आरक्षण होने पर जनपद के कई दिग्गज परिवार की महिलाएं जिले के प्रथम नागरिक का पद पाने की होड़ में शामिल हो गईं हैं। प्वाइंटर--
जिला पंचायत अध्यक्ष के आरक्षण की स्थिति--
वर्ष - आरक्षण - अध्यक्ष का नाम
1- 1995-2000 - पिछड़ी महिला - गायत्री यादव, राकेश सिंह।
2- 2000-2005 - अनुसूचित जाति - रामभवन।
3- 2005-2010 - पिछड़ी महिला - अंशा यादव।
4- 2010-2015 - अनारक्षित - सुनील सिंह चौहान।
5- 2015-2020 - अंशा यादव, उर्मिला जायसवाल। 18 अप्रैल को भंग होंगी जिला पंचायत
जागरण संवाददाता, मऊ : प्रदेश के छह जनपदों एटा, कासगंज, कुशीनगर, कानपुर नगर, गौतमबुद्ध नगर तथा मऊ के जिला पंचायत अध्यक्षों के कार्यकाल 18 अप्रैल को भंग होंगी। सन 2005 में हुए दंगे से जनपद की पूरी कार्यप्रणाली ही पूरी तरह से प्रभावित हो गई। इसके चलते त्रि-स्तरीय पंचायतों का ही स्वरूप बदल गया। ग्राम पंचायतें पहले गठित हो गई तो जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत का गठन बाद में हो पाया।