दोहरीघाट में लाल निशान के समीप सरयू, बिदटोलिया में पलायन शुरू

सरयू में जलस्तर बढ़ने से उफान तेज है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 05:52 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 09:55 PM (IST)
दोहरीघाट में लाल निशान के समीप सरयू, बिदटोलिया में पलायन शुरू
दोहरीघाट में लाल निशान के समीप सरयू, बिदटोलिया में पलायन शुरू

जागरण संवाददाता, दोहरीघाट/मधुबन (मऊ) : सरयू में जलस्तर बढ़ने से उफान तेज है। इससे तटवर्ती इलाकों में नदी ने कहर बरसाना शुरू कर सिस्टम की पोल खोल दी है। सरयू का जलस्तर गौरीशंकर घाट पर सोमवार सी सुबह आठ बजे 69.55 मीटर रहा, जो खतरे के निशान से 35 सेंटीमीटर नीचे है। सरयू में उफान तेज है, नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण तथा कई दिनों हुई बारिश से जून माह में ही बाढ़ आ गई है। तटवर्ती इलाकों के खेती योग्य भूमि को नदी की लहरें धीरे-धीरे कतर रही है। वहीं नदी का रौद्र रूप देख मधुबन के बिदटोलिया से लोगों का पलायन शुरू हो गया है। मजबूर लोग अपने आशियाने को खुद ही तोड़ रहे हैं।

दोहरीघाट में सिचाई विभाग ने मुक्तिधाम की सुरक्षा के लिए चार बड़े प्रोजेक्ट तैयार किए हैं। इसमें धनौली श्मशान घाट पहला, श्मशान घाट से खाकी बाबा कुटी तक दूसरा, खाकी बाबा की कुटी से देव स्थान तक तीसरा और शाही मस्जिद की कटान रोकने के लिए चौथा प्रोजेक्ट बनाया है। फिर भी श्मशान घाट, भारत माता मंदिर, वृद्धाश्रम, गौरीशंकर घाट, जानकी घाट सहित ऐतिहासिक स्थल अति संवेदनशील बने हुए हैं। श्मशान घाट और भारत माता मंदिर को बचाने के लिए पांचवा प्रोजेक्ट तैयार कर श्मशान घाट के दक्षिण 12 कटर बनाकर सरयू की धारा को रोकने का काम प्रारंभ जरूर किया गया था परंतु बारिश व नदी का जलस्तर बढ़ जाने से कटर का काम अधूरा रह गया। इससे इन स्थलों पर कटान का खतरा बढ़ गया है। 1988 से आज तक गौरीशंकर घाट की सुरक्षा का स्थाई प्रबंध करने के लिए कई प्रोजेक्ट तैयार हुए लेकिन बाढ़ और कटान होते ही सभी प्रोजेक्ट पर पानी फिर जाता है। नदी में लगातार जलस्तर बढ़ने से नवली, सूरजपुर के समीप कृषि योग्य भूमि को सरयू की लहरें काट रही हैं। बीच नदी काम रुकते ही लोगों की टूटी उम्मीदें

मधुबन : तहसील क्षेत्र के देवारा स्थिति बिदटोलिया गांव के पास नदी की धारा मोड़ने के लिए पिछले कई महीनों से सेक्शन मशीन के सहारे बीच नदी में चल रहा काम पानी बढ़ने के साथ ही बीच में ही रोक देना पड़ा। काम रुकने के साथ ही नदी के सबसे अंतिम छोर पर बसे बिदटोलिया गांव के लोगों की उम्मीदें भी दम तोड़ गई। क्योंकि अभी आधा काम भी पूरा नहीं हो पाया था और काम बंद हो गया। ऐसे में इस साल भी यहां के लोगों को कटान एवं बाढ़ से बचाया नहीं जा सकता। प्रशासन एक बार फिर राहत देने में नाकाम रहा शायद यही वजह है कि यहां के लोग प्रशासनिक मदद की उम्मीद छोड़ अपनी मदद आप के तर्ज पर एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं। उधर कोई अपना आशियाना खुद तोड़ उसके अवशेष को समेटने में लगा है तो कोई पेड़ को काट उसके लकड़ियों को जमा कर रहा है कि इससे पहले की नदी में सबकुछ समा जाए, जितना हो सके बचा लिया जाए। सोमवार को हाहानाला पर सरयू का जलस्तर 65.16 मीटर पर था। जो खतरा के निशान 66.31 मीटर से 1.15 मीटर नीचे है। पनाह स्थल बना प्राथमिक विद्यालय

गोरख निषाद, रामजी निषाद, देऊ निषाद, रामशीष कुमार यह कुछ ऐसे नाम हैं जिनका पूरा परिवार इन दिनों अपना घर बार छोड़ गांव के एक मात्र प्राथमिक विद्यालय में पनाह लिए हुए है। वहीं दिनेश निषाद, बालेश्वर, सरवन, कल्लन, लालू, गोबिदर, राधेश्याम, लाली, बिकाऊ जैसे कई परिवार सोमवार को भी अपना सबकुछ समेटते नजर आए। क्योंकि इन सभी के मकान नदी के सबसे अंतिम छोर पर बसे हैं और कटान शुरू होते ही सरयू नदी के रौद्र रूप का पहला शिकार यही होंगे। चार साल पूर्व कट रहे थे खेत, अब मकान निशाने पर

देवरांचल में सरयू नदी की विनाश लीला कोई नई बात नहीं। पिछले साल ही तहसील प्रशासन के आंकड़े के अनुसार 250 एकड़ से अधिक किसानों की खेती योग्य भूमि एवं 34 रिहायशी मकान नदी में समाए थे। यहां के लोगों के अनुसार इस साल भी अब तक करीब 20 एकड़ से अधिक भूमि व छह रिहायशी मकान नदी में विलीन हो चुके हैं। अब कई मकान सरयू के निशाने पर हैं। यहां हर साल होती तबाही का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि आज से चार साल पूर्व सरयू नदी बिदटोलिया गांव से करीब चार किलोमीटर दूर थी और आज यह घर की चौखट पर आ पहुंची है।

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