दीपावली व छठ पूजा पर मिट्टी के बर्तन बनाने में जुटे कुम्हार
जागरण संवाददाता रामपुर बेलौली (मऊ) बदलते परिवेश में अर्थ की प्रधानता व मशीनी युग के चलते
जागरण संवाददाता, रामपुर बेलौली (मऊ) : बदलते परिवेश में अर्थ की प्रधानता व मशीनी युग के चलते परंपरागत व्यवसायों पर ग्रहण सा लग गया और लोग लाभ के अनुसार काम धंधे का चयन करने लगे। प्लास्टिक की वजह से कुम्हारी कला भी इसका जबरदस्त शिकार हुई लेकिन समय के साथ पर्यावरण प्रदूषण से बचाने व लाभ का व्यवसाय बनने से कुम्हारी कला के दिन बहुरने लगे हैं। चाय की दुकानों पर लोग पुरवा में चाय की चुस्की लेने लगे हैं वहीं दीपावली व छठ पूजा व अन्य धार्मिक कृत्यों पर मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ने लगी है। बर्तन बनाने काम युद्धस्तर पर होने लगा है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मिट्टी के बर्तन शुद्ध माने जाते हैं। इधर कोरोना वायरस को लेकर बाहर रोजी रोजगार में लगे कामगारों को काफी दिक्कत हुई। वह अपने गांव वापस आ गए। इस समय मिट्टी के बर्तनों का धंधा चल पड़ा है। दाम भी अच्छा मिलने लगा है। बहादुरपुर गांव निवासी रंजीत प्रजापति मिट्टी के बर्तन बनाने में जुट गए हैं। उनका कहना है कि कोरोना वायरस के कारण काफी दिक्कत हुई। अब मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है। विद्युत चालित चाक की वजह से मेहनत भी कम करनी पड़ रही है। आकाश प्रजापति का कहना है कि हमारा पुश्तैनी धंधा अच्छा चल रहा है। अब बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है। राजेश प्रजापति का कहना है कि व्यवसाय में मिट्टी की कमी आड़े आ रही है। सरकार मिट्टी को पट्टा दिला दे तो बड़ी राहत मिलेगी। सुन्नर प्रजापति का कहना है कि इस अच्छी आय हो रही है। अब मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है।