बारिश के बाद फसलों में लग सकते हैं कीट व रोग
जागरण संवाददाता वाराणसी बीते कुछ दिनों से हो रही बारिश के थमते ही फसलों पर रोगों व क
जागरण संवाददाता, वाराणसी : बीते कुछ दिनों से हो रही बारिश के थमते ही फसलों पर रोगों व कीटों का प्रकोप हो सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने इस तरह की आशंका जताते हुए किसानों को सावधान किया है। साथ ही उन्हें रोग व कीट प्रबंधन के लिए समय से तत्परता बरतने की सलाह दी है, ताकि उनकी मेहनत की फसल पर पानी न फिर जाए।
कृषि विज्ञान केंद्र, कल्लीपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक फसल सुरक्षा डा. एनके सिंह ने कहा कि बारिश खत्म होने के बाद मौसम खुलते ही धान पर जीवाणु झुलसा या शीथ झुलसा का प्रकोप हो सकता है। झुलसा या गलन का रोग सब्जियों की खेती को भी बर्बाद कर सकता है। ऐसे में किसानों को लक्षण नजर आते ही दवाओं का छिड़काव कर देना चाहिए।
किस परिस्थिति में क्या करें
जीवाणु झुलसा : इस रोग में पत्तियां नोक से पीली होती हुई दिखाई देती हैं। इसके लिए मात्र छह ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 200 लीटर पानी मे घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दें।
पर्णच्छद अंगमारी शीथ ब्लाइट रोग : इस रोग के लक्षण पर्णच्छदों व पत्तियों पर दिखाई देते हैं। इसमें पर्णच्छद पर पत्ती की सतह के ऊपर 2-3 सेंमी लंबे हरे-भूरे या पुआल के रंग के क्षत स्थल बन जाते हैं। इस रोग का लक्षण दिखाई देने पर हेक्साकेनाजोल की 200 मिली मात्रा को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
आभासी कंड या फाल्स स्मट : इस रोग के लक्षण बाली निकलने के बाद ही स्पष्ट होते हैं। इसमें रोगग्रस्त दाने पीले अथवा संतरे के रंग के होते हैं जो बाद की अवस्था में जैतूनी काले रंग के गोले में बदल जाते हैं। संक्रमित पौधों को सावधानीपूर्वक निकाल कर व जला कर नष्ट कर दें। रोग ग्रसित क्षेत्रों में पुष्पन के दौरान प्रोपोकेनाजोले 200 एमएल को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ कि दर से छिड़काव करें। सब्जियों मे ब्लाइटाक्स 50 का 0.5 एमएल एक लीटर पानी में घोलकर प्रभावित पौधों पर छिड़काव करें।
ध्यान रखने की बात : जिन दवाओं का छिड़काव करें, उसमें स्टीकर के रूप मे डिटर्जेंट पाउडर का इस्तेमाल अवश्य करें ताकि दवा पौधों पर चिपक जाए। साथ ही खेत में लगे पानी की निकासी का उपाय अवश्य कर दें।