तेज हवा संग बारिश से खेतों में गिरी धान की फसल
जागरण संवाददाता मऊ खरीफ सीजन पर उपजे प्रकृति की मार से किसान बेजार है। अक्टूबर के श्
जागरण संवाददाता, मऊ : खरीफ सीजन पर उपजे प्रकृति की मार से किसान बेजार है। अक्टूबर के शुरूआती माह में लगभग 38 घंटे की लगातार बारिश का दंश अभी किसान झेल ही रहे थे कि एक बार फिर बदले मौसम ने किसानों को डराना शुरू कर दिया है। अन्नदाताओं की मुश्किलें और बढ़ने के आसार हैं।
अभी भी धान के खेतों में पानी लगा हुआ है। धान लगभग पककर तैयार है। किसान पानी के सूखने का इंतजार कर रहें हैं। रविवार व सोमवार तेज हवा संग हुई बारिश से फसल खेत में ही गिर गई। अब किसानों के अरमान टूटते दिखाई पड़ रहे हैं। अगर अब और बारिश हुई तो धान की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएगी।
मधुबन संवाददाता के अनुसार तहसील क्षेत्र में लगातार दो दिनों से हो रही बारिश ने धान की बची-खुची फसल को भी बर्बाद कर दिया है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान के साथ ही मानसिक आघात का भी सामना करना पड़ रहा है। सितंबर माह में हुई बारिश के चलते धान के खेत में हुए जलजमाव की समस्या से उबर भी नहीं पाए थे कि अक्टूबर माह के दूसरे पखवाड़े में रविवार से असमय लगातार हो रही बारिश ने किसानों पर बज्रपात गिराने का काम किया है। इससे फसल के बर्बाद होने के साथ ही पैदावार के प्रभावित होने की संभावना है। इससे
धान के पैदावार पर विपरित असर पड़ने से लोगों को महंगे चावल की खरीददारी करनी पड़ेगी।
हरी सब्जियों का मूल्य भी बारिश के चलते आसमान पर पहुंच गया है। दोहरीघाट के अनुसार बेमौसम बरसात और हवा के चलते धान की पकी बालियां पानी में गिर गई हैं। इससे किसान काफी मायूस हैं। किसानों की गाढ़ी कमाई बेमौसम बरसात ने बर्बाद कर दिया है। सरयू नदी के तटवर्ती इलाकों में धान की फसल बाढ़ के पानी में डूब कर पहले ही बर्बाद हो गई थी। थानीदास के अनुसार हवा के साथ हो रही झमाझम बारिश के चलते धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचने की आशंका से किसानों के चेहरे पर चिता की लकीरें खिच गई हैं।
धान कटाई के बाद कुछ खेतों में खुले में पड़ा है तथा काफी धान की फसल की कटाई नहीं होने से खराब होने की आशंका बढ़ती जा रही है।