घाघरा उफान पर, दहशतजदा हैं देवारावासी
जागरण संवाददाता दोहरीघाट (मऊ) दोहरीघाट के पश्चिमी व उत्तरी छोर से होकर बहने व
जागरण संवाददाता, दोहरीघाट (मऊ) : दोहरीघाट के पश्चिमी व उत्तरी छोर से होकर बहने वाली घाघरा पूरी तरह उफान पर है। पिछले तीन दिनों से घाघरा का जलस्तर खतरा बिदु से एक मीटर ऊपर बह रहा है। इसकी वजह से देवारावासी जहां दहशतजदा हैं वहीं वह अपने ठिकानों को तलाशने में जुटे हुए हैं। हर तरफ तबाही का मंजर साफ दिख रहा है। अगर इसी तरह घाघरा का जलस्तर बढ़ता रहा तो चौतरफा विनाशलीला साफ देखने को मिलेगी।
पिछले कई दिनों से घाघरा के जलस्तर में निरंतर वृद्धि हो रही है। गौरीशंकर घाट पर सुबह घाघरा का जलस्तर 70.71 मीटर पर पहुंच चुका है। इससे तटवर्ती इलाकों में तबाही मच गई है। खेतों में पानी भरा हुआ है। बांधों के किनारे तक घाघरा का जलस्तर पहुंच चुका है। महुला गढ़वल बांध, गोधनी-बीबीपुर बांध, बेलौली-बीबीपुर बांध, सूरजपुर-सुगीचौरी बांध रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गए हैं। अगर घाघरा का दबाव 1998 की तरह हुआ तो क्षेत्र में तबाही का मंजर साफ दिखने लगेगा। घाघरा की लहरें गौरीशंकर घाट पर दबाव बनाए हुए हैं। सिचाई विभाग द्वारा बचाव के लिए घाटों के समीप बोल्डर पीचिग कराए गए हैं लेकिन घाघरा के दबाव के चलते किनारे के बोल्डर नीचे धंस रहे हैं। अगर घाघरा कटान करती है तो गौरीशंकर घाट का अस्तित्व मिट सकता है। इसके पहले 1992 में गौरीशंकर घाट का बना पक्का घाट, श्मशानघाट का पक्का घाट, खाकी बाबा का पक्का घाट, राजनीतिक सामाजिक और धार्मिक स्थल कट कर नदी में विलीन हो चुका है। सिचाई विभाग करोड़ों रुपया खर्च किया लेकिन एक इंच भी जमीन बचा नहीं पाई। रामपुर धनौली के काश्तकारों की सैकड़ों एकड़ भूमि कटकर नदी में चली गई। धार्मिक प्राचीन धरोहर सब कटकर नदी में विलीन हो गया लेकिन सिचाई विभाग प्रोजेक्ट बनाता रह गया।
मधुबन प्रतिनिधि के अनुसार स्थानीय तहसील क्षेत्र के देवारा में घाघरा खतरा का निशान पार कर सन् 1998 के बाढ़ के आंकड़े के करीब पहुंचने को आतुर है। इससे पूरा देवारा क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गया है, वहीं चक्कीमुसाडोही में रिहायशी घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। इससे चारों तरफ बाढ़ से घिरा चक्की मूसाडोही के साथ पूरे देवारा का आवागमन ठप हो गया है। लोगों की दिनचर्या नाव पर निर्भर होकर रह गई है। क्षेत्र के हाहानाला पर सोमवार को घाघरा का जलस्तर 66.48 मीटर पर पहुंच गया है, जो खतरा के निशान 66.31 से 17 सेमी ऊपर है। निचले इलाके में रहने वाले ग्रामीण नाव के सहारे अपनी गृहस्थी समेट कर देवरिया जनपद के तेलियाकलां में शरण लेने लगे हैं। देवारा का धर्मपुर विशुनपुर, नुरुल्लाहपुर, बखरिया, सिसवा ग्राम पंचायत पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गया है तथा दुबारी, गजियापुर, मोलनापुर, कुवंरपुरवा, परसिया जयरामगीरी का आंशिक भाग बाढ़ से प्रभावित हो गया है। 1998 की बाढ़ की आशंका से दहशत में ग्रामीण
मधुबन : क्षेत्र के देवारा में जिस तेजी के साथ घाघरा के जलस्तर में वृद्धि हो रही है, उसको देखकर ग्रामीण दहशत में है। ग्रामीणों का मानना है कि जिस तेजी के साथ घाघरा का पानी बढ़ रहा है, इससे सन् 1998 की विनाशलीला से इंकार नहीं किया जा सकता है।
राखी बांधने की हसरत रह गई अधूरी
मधुबन : देवारा में रविवार की शाम से लेकर सोमवार की सुबह तक घाघरा के जलस्तर में हुई वृद्धि का किसी ने अनुमान नहीं लगाया था और काफी संख्या में बहनें देवारा में स्थित अपने मायके में जाकर अपने भाई को राखी बांधने की हसरत लेकर देवारा में पहुंची थीं, लेकिन बाढ़ के चलते उनको वापस लौटना पड़ा। इससे राखी बांधने की बहनों की हसरत अधूरी रह गई।