खेती योग्य भूमि लील रही घाघरा, बढ़ता जा रहा कटान

दोहरीघाट में घाघरा का जलस्तर घट रहा है और अब यह किसानों की खेती की जमीन को जद में ले रही है। बारिश का मौसम शुरू होने से पहले शासन ने कटान को रोकने कई तरह के दावे किए थे और इसके लिए करोड़ों का धन आवंटित हुआ था। जबकि बारिश होते ही शासन के सभी दावों की हवा निकल चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Jul 2020 05:38 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2020 05:38 PM (IST)
खेती योग्य भूमि लील रही घाघरा, बढ़ता जा रहा कटान
खेती योग्य भूमि लील रही घाघरा, बढ़ता जा रहा कटान

जागरण संवाददाता, दोहरीघाट (मऊ) : दोहरीघाट में घाघरा का जलस्तर घटने के साथ ही कटान शुरू हो गई है। अब घाघरा खेती योग्य भूमि लील रही है। बारिश का मौसम शुरू होने से पहले शासन ने कटान को रोकने के कई तरह के दावे किए थे और इसके लिए करोड़ों का धन आवंटित हुआ था जबकि बारिश होते ही शासन के सभी दावों की हवा निकल चुकी है।

घाघरा नदी की तेज धारा में तटवर्ती इलाकों के खेती की जमीन नदी में विलीन हो रही है। बीबीपुर देवारा में खेती योग्य भूमि को नदी के जद में लेना शुरू कर दिया है। घाघरा का जलस्तर 24 घंटा में 10 सेंटीमीटर घटा है। जिससे गौरी शंकर घाट पर घाघरा का जलस्तर 68 मीटर 90 सेंटीमीटर पर घटकर आ गया है। नदी के घटते जल स्तर से कटान की संभावना बढ़ गई है, जबकि शासन ने बरसात के पहले दोहरीघाट की सुरक्षा की स्थाई प्रबंध के लिए 9 करोड़ 58 लाख रुपया सिचाई विभाग को मुहैया कराया था लेकिन सिचाई विभाग की उदासीनता के चलते खाकी बाबा की कुटी से शाही मस्जिद के बीच घाघरा से कटान को रोकने के लिए जो कार्य होना था बरसात के चलते वह कार्य अधूरा रह गया। जलस्तर में कमी आई है फिर भी घाघरा तटवर्ती इलाकों में तांडव मचाने के लिए उतावली है। जब-जब जल स्तर घटता है तब तक घाघरा तटवर्ती इलाकों को काटती है। जून माह बीत गया और सिचाई विभाग द्वारा जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया था पूरा नहीं हुआ है। इससे तटवर्ती इलाके में लोगों को घाघरा के बढ़ते घटते जलस्तर से लोगों में काफी भय व्याप्त है। जिलाधिकारी का घाघरा के तटवर्ती इलाकों का आकस्मिक निरीक्षण किया गया जिससे सिचाई विभाग में हड़कंप मच गया था। उन्होंने सिचाई विभाग को दिया बाढ़ और कटान से तटवर्ती इलाकों में बचाव कार्य हेतु युद्ध स्तर पर तैयारी करने को आदेशित किया था।

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