इंटरलाकिग, नाली-खड़ंजा पर किया भुगतान तो खैर नहीं

प्रदेश सरकार ने मनरेगा के अंतर्गत सामग्री मद में हो रही अनियमितता को रोक दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 05:52 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 05:52 PM (IST)
इंटरलाकिग, नाली-खड़ंजा पर किया भुगतान तो खैर नहीं
इंटरलाकिग, नाली-खड़ंजा पर किया भुगतान तो खैर नहीं

जागरण संवाददाता, मऊ : प्रदेश सरकार ने मनरेगा के अंतर्गत सामग्री मद में हो रही अनियमितता को रोकते हुए केवल ग्राम सचिवालय, सामुदायिक शौचालय, पशु शेड सहित व्यक्तिगत कार्यों पर ही फोकस किया है। इसके अलावा सभी ब्लाक मुख्यालयों पर सामग्री मद के अन्य कार्यों के लिए बड़ी संख्या में फाइलें पड़ी हैं। ऐसे में अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर कड़े निर्देश दिए हैं। शासन ने अनुमन्य कार्यों के अलावा दूसरे कार्यों पर कराया गया भुगतान अनियमितता की श्रेणी में माना है। इसके उल्लंघन पर कठोर कार्रवाई होगी।

पिछले वर्ष 2020 में जहां पूरा देश कोरोना से लड़ाई लड़ रहा था। वहीं जनपद में मनरेगा के तहत धड़ाधड़ सामग्री मद में प्राइवेट फर्माें को लखपति बनाने का काम चल रहा था। अप्रैल में योगी सरकार की प्राथमिकता ज्यादा से ज्यादा गरीबों व प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने की थी। वहीं जनपद में जहां श्रमअंश में 30 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ तो सामग्री मद में 32 करोड़ रुपये इधर से उधर किया गया। इसमें रतनपुरा ब्लाक ने बाजी मारते हुए लगभग आठ करोड़ रुपये का भुगतान किया। इस मामले को जब दैनिक जागरण ने उजागर किया तो शासन ने सामग्री मद के तहत नाली, खडंजा, इंटरलाकिग आदि के काम पर रोक लगा दी। शासन ने ग्राम सचिवालय, सामुदायिक शौचालय, पशु शेड सहित अन्य व्यक्तिगत कार्यों को ही सामग्री परक कार्य माना। शासन ने अब सामग्री मद के अनुमन्य कार्यों के बिल, बाउचर आदि फीड कराने के निर्देश दिए हैं। गई प्रधानी पर मोह नहीं हो रहा कम

यूं तो प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर को समाप्त हो गया परंतु निवर्तमान प्रधानों का मोह अभी कम नहीं हो रहा है। इस वित्तीय वर्ष में सामग्री मद पर लगी रोक के बाद भी ऐसे प्रधान फिराक में लगे हैं कि नाली, खडंजा व इंटरलाकिग के मद में जो कुछ भी हाथ लगे उसे बटोर लें। आलम यह है कि सभी विकास खंड मुख्यालयों पर हजारों की तादाद में फाइलें पड़ी हैं। आए दिन निवर्तमान प्रधान ब्लाकों का चक्कर काट रहे हैं कि चुनावी बेला में कुछ भला हो जाए।

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