नेपाल ने सरयू नदी में छोड़ा सात लाख क्यूसेक पानी
जागरण संवाददाता दोहरीघाट (मऊ) पहाड़ों व मैदानी इलाकों में हो रही भीषण बारिश के च
जागरण संवाददाता, दोहरीघाट (मऊ) : पहाड़ों व मैदानी इलाकों में हो रही भीषण बारिश के चलते नेपाल में बाढ़ के हालात हैं। इसको लेकर तीन बैराजों से दो दिन में दो बार में छह लाख 93 हजार 80 क्यूसेक पानी नेपाल से सरयू नदी में दो चरणों में छोड़े जाने से एक बार फिर बाढ़ व कटान का खतरा उत्पन्न हो गया है। गुरुवार से नदी के जलस्तर में जबरदस्त बढ़ाव की आशंका जताई जा रही है। इसको लेकर एक बार फिर राहत की सांस ले रहे समीपवर्ती गांवों में खलबली मच गई है।
नेपाल द्वारा दो दिनों में पानी छोड़े जाने से सिचाई विभाग व बाढ़ खंड के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। बैराजों से पानी छोड़े जाने को लेकर तटवर्ती इलाके के लोगों के होश उड़ गए हैं। सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता विरेंद्र पासवान ने बताया कि मंगलवार को सुबह आठ बजे गिरजा बैराज से 1,07,287 क्यूसेक, शारदा बैराज से 1,49,878 क्यूसेक, सरयू बैराज से 13,948 क्यूसेक पानी छोड़ा गया तथा दिन में दो बजे गिरजा बैराज से 4,70,800 क्यूसेक, शारदा बैराज से 2,13,276 तथा सरयू बैराज से 9004 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। दो चरणों को मिलाकर कुल छह लाख 93 हजार 80 क्यूसेक पानी सरयू नदी में छोड़े जाने से हालात एक बार फिर खराब होने वाले हैं। इससे सरयू नदी में गुरूवार को उफान आने की आशंका है। इसको लेकर विभाग के सभी अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है। जैसे ही जलस्तर बढ़ेगा रामपुर धनौली, मुक्तिधाम, भारत माता से सीधे नदी की धारा आकर टकराएगी। इससे कटान का खतरा एक बार फिर बढ़ जाएगा।
रेग्युलेटरों पर बढ़ाई गई चौकसी
सरयू नदी में अचानक लगभग सात लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने को लेकर सिचाई विभाग मऊ व बाढ़ खंड आजमगढ़ अलर्ट मोड में आ गए हैं। आनन-फानन बंधों की मरम्मत में वे जुट गए हैं। बाढ़ खंड आजमगढ के अधिशासी अभियंता दिलीप कुमार ने बताया कि बंधों की निगरानी बढ़ा दी गई है तथा सभी बाढ़ चौकियों पर बेलदारों की तैनाती कर दी गई है। हालांकि नदी का जलस्तर घटकर 68:10 मीटर हो गया है। जो खतरे के निशान से 1.80 मीटर नीचे है। गुरुवार को जलस्तर बढ़ने की आशंका है। बैराजों से पानी छोड़े जाने के बाद 48 घंटे में नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हो जाएगा। सिचाई विभाग के जेई जेपी यादव ने बताया कि रिग बंधों पर लगे रेग्युलेटरों पर तैनाती कर दी गई है। जलस्तर घटने के बाद सभी रेग्युलेटर उठा दिए गए थे, अब जैसे ही नदी का जलस्तर बढ़ेगा ये बंद कर दिए जाएंगे। बाढ़ चौकियों पर जेई से लेकर मजदूर तक मौजूद हैं, जो जलस्तर के पल-पल की खबर ले रहे हैं।