रोजगार की तलाश में भटक रहे प्रवासी मजदूर

कड़ी मेहनत कर महानगरों में कार्य करने वाले गांव लौटे श्र

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 04:49 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 04:49 PM (IST)
रोजगार की तलाश में भटक रहे प्रवासी मजदूर
रोजगार की तलाश में भटक रहे प्रवासी मजदूर

जागरण संवाददाता, थानीदास (मऊ) : कड़ी मेहनत कर महानगरों में कार्य करने वाले गांव लौटे श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। महानगरों में काम ठप होने के कारण श्रमिक गांव चले आए हैं। यहां पर इन्हें कोई रोजगार नहीं मिल पा रहा है। लाकडाउन में दूसरे राज्यों से आए प्रवासी श्रमिकों का जीवनयापन करना कठिन होता जा रहा है।

प्रवासी श्रमिक गांव में रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। सरकार घर में रोजगार देने के चाहे कितने भी दावे करें लेकिन हकीकत यही है कि विभागीय उदासीनता के कारण गांवों में अभी तक रोजगार का सृजन नहीं हो पाया है। गांव में पहले से ही रहने वाले मनरेगा श्रमिकों को रोजगार मिलना मुश्किल है। ऐसे में प्रवासी श्रमिकों के लिए काम मिलना ओर कठिन है। ऐसे में प्रवासी श्रमिक अपने परिवार का पालन-पोषण कैसे करें यह उनकी सबसे बड़ी समस्या है। ग्रामीण क्षेत्रों में दूसरे राज्यों से हजारों प्रवासी मजदूर आए हैं। इसमें कुछ प्रवासियों को रोजगार मुहैया हुआ, वह भी कौशल के विपरीत। बाकी मजदूर काम की तलाश में दौड़ लगा रहे हैं। श्रमिकों का कहना है कि अगर गांव में ही रोजगार मिले तो परदेश जाने की जरूरत न पड़ती।

इनसेट--

लाकडाउन में काम मिलना हुआ बंद

प्रवासी श्रमिक हरेंद्र राजभर का कहना हैं कि लाकडाउन से पहले गुजरात में सरिया बांधने का काम करते थे। इसके एवज में महीने में 15 से 20 हजार रुपये मिल जाते थे। काम-धंधा बंद होने के चलते अप्रैल में घर आ गया लेकिन, अभी तक यहां हमें कोई रोजगार नहीं मिला। गांव में मिल जाता काम

तो न जाते परदेस

बहरामपुर गांव के निवासी जुगनू ने बताया कि लाकडाउन से कारण एक मई को घर आए हैं। परिवार में कुल पांच सदस्य हैं। पूरा परिवार उनके ऊपर ही निर्भर है। वहां रहकर 10 से 12 हजार रुपये महीने की कमाई हो जाती थी लेकिन घर पर आने के बाद कोई काम नहीं मिल रहा है। कोई इधर ही काम मिल जाता तो बाहर नहीं जाना पड़ता।

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