याद किया प्रभु यीशु के बलिदान को

इसाई धर्म के प्रवर्तक प्रभु यीशू मसीह के बलिदान दिवस गुड फ्राइडे पर ºिस्त समुदाय के लोगों ने विविध आयोजन किए और मानव जाति के लिए किए गए उनके बलिदान को याद किया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Apr 2019 05:58 PM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2019 05:58 PM (IST)
याद किया प्रभु यीशु के बलिदान को
याद किया प्रभु यीशु के बलिदान को

जागरण संवाददाता, मऊ : इसाई धर्म के प्रवर्तक प्रभु यीशु मसीह के बलिदान दिवस गुड फ्राइडे पर ºिस्त समुदाय के लोगों ने विविध आयोजन किए और मानव जाति के लिए किए गए उनके बलिदान को याद किया। इस मौके पर चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया। जहां पादरियों ने बताया कि मानव जाति के पापों के बदले प्रभु यीशु ने तमाम यातनाएं झेलीं और क्रूस पर चढ़ना स्वीकार किया।

फातिमा अस्पताल के चर्च में आयोजित विशेष प्रार्थना सभा में अस्पताल की सभी नर्सेज, नन्स, स्टाफ और नर्सिंग की छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इस दौरान सर्मन आफ दि माउंट के अंशों को उद्धृत करते हुए प्रभु यीशू की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला गया। सुबह से ही पूरे अस्पताल परिसर में वातावरण धार्मिक बना हुआ था। फादर ने सबको ईसा मसीह की शिक्षाओं से अवगत कराया। सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र अग्रवाल ने क्रूस लेकर पूरे परिसर का भ्रमण किया। प्रभु यीशू में आस्था रखने वालों के लिए खास दिन

जागरण संवाददाता, अदरी (मऊ) : संत जोसेफ मिशन कैथौलिक चर्च इंदारा के परिसर में गुड फ्राइडे के अवसर पर विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। सुबह से ही चर्च में समुदाय के लोग प्रार्थना सभा के लिए जुटे रहे। इस मौके पर चर्च के फादर बी. मिज ने यीशू के संदेश के बारे में लोगों को जानकारी दी।

बताया कि प्रभु यीशु के प्रति आस्था रखने वालों के लिए गुड फ्राइडे का दिन विशेष होता है। इस दिन मसीही यीशु के दुख व बलिदान को याद करते हैं। इसके पीछे संदेश है कि प्रभु दुनिया को कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए खुद दुख सहते हैं।

उन्होंने मानव जाति के पापों के लिए स्वयं मृत्यु दंड स्वीकार किया। अपना बलिदान देकर पाप पर विजय पाई। इसलिए लोगों को अपने कष्ट से घबराना नहीं चाहिए क्योकि यह तो उनके ही पापों की सजा है। उन्होंने बताया कि पहला संदेश प्रेम, नम्रता और सेवा का था। जबकि परम प्रसाद की स्थापना में यीशु मसीह अपना शरीर व रक्त प्रसाद के रूप में अर्पित करते हैं। इसका कारण था कि प्रभु के शिष्य व अनुयायी भी संसार में प्रेम व त्याग का संदेश देने के लिए अपने जीवन का बलिदान करें। इस अवसर पर जितेंद्र कुमार डेनिस, सिस्टर प्रेमा, किरन सिंह, ब्रदर चा को, अशोक, मनोज कुमार, हरिश्चंद्र आजाद, मुख्य रूप से थे।

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