वृद्धों का स्वास्थ्य कार्ड बनवाने का दिया निर्देश

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By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 08:48 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 08:48 PM (IST)
वृद्धों का स्वास्थ्य कार्ड बनवाने का दिया निर्देश
वृद्धों का स्वास्थ्य कार्ड बनवाने का दिया निर्देश

जागरण संवाददाता, मऊ : जनपद न्यायाधीश के निर्देश पर विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कुंवर मित्रेश सिंह कुशवाहा ने मंगलवार की शाम को मुहम्मदाबाद गोहना स्थित वृद्धाश्रम का निरीक्षण किया। इस दौरान 47 वृद्धों में से 29 को वैक्सीन लगने की बात कही गई। स्वास्थ्य कार्ड के संबंध में जिला प्रोबेशन अधिकारी द्वारा पूछा गया तो कुछ वृद्धों ने बताया कि स्वास्थ्य कार्ड नहीं बन पाया है। वृद्धों को आश्वासन दिया गया कि सीएमओ द्वारा कैंप के माध्यम से उनका स्वास्थ्य कार्ड बनवाया जाएगा। कुछ वृद्धों ने बताया कि उनका आधार कार्ड नहीं बन पाया है। इस संबंध में सचिव ने पोस्टमास्टर द्वारा सभी लोगों का आधार कार्ड बनवाने का आश्वासन दिया गया। समाज कल्याण अधिकारी द्वारा प्रबंधक को निर्देश दिया गया जिन वृद्धों को वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही है, उनकी सूची प्रेषित की जाए।

प्रेमलता मंजू तिवारी पूर्व माध्यमिक विद्यालय समिति जमालपुर द्वारा संचालित शिशु केंद्र का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। केंद्र में कुल 25 बच्चे हैं जिसमें छह नवजात हैं। शिशु गृह की अधीक्षिका रेनू चौहान ने बताया कि सभी बच्चों को सुबह दूध, ब्रेड या चाय टोस्ट दिया जाता है तथा दोपहर भोजन में दाल, चावल व सब्जी मीनू के अनुसार दिया जाता है। जानकारी दी कि कुल 11 बच्चे एडाप्ट किए जा चुके हैं। सचिव ने वृद्धों के इलाज आदि समय से कराने का निर्देश दिया। जिला समाज कल्याण अधिकारी उमाशंकर वर्मा, जिला प्रोबेशन अधिकारी समर बहादुर सरोज आदि थे।

कोई भी वृद्ध अपनी संतान से मांग सकता है भरण पोषण

वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 के संबंध में आयोजित विधिक जागरूकता शिविर में विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कुंवर मित्रेश सिंह कुशवाहा द्वारा बताया गया कि कोई भी वृद्धजन अपने पौत्र, दत्तक पुत्र, पौत्री सौतेली संतान से अपनी जीविका चलाने के लिए भरण पोषण की मांग कर सकता हैं। इसके लिए उपजिलाधिकारी के पास स्वयं उपस्थित होकर प्रार्थना पत्र के माध्यम से कार्यवाही की मांग कर सकता है। भरण पोषण अधिकारी, इसके लिए माता पिता का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। दोषी पाए जाने पर ऐसे संतानों को तीन माह की कारावास की सजा एवं पांच हजार रुपये का जुर्माना या दोनों सजा सुना सकते हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत किए गए अपराध संज्ञेय जमानती होता हैं। वाद के लंबित रहने के दौरान अधिनियम के अंतर्गत अंतरिम भरण पोषण का आदेश सक्षम अधिकारी कर सकते हैं और किसी अवहेलना पर वसूली वारंट भी जारी की जा सकती है। जमा की गई धनराशि अदा न करने पर एक माह की सजा की जा सकती हैं। इस अधिनियम के अन्तर्गत माता पिता को दस हजार रुपये की धनराशि भरण पोषण के रूप में दिलाया जा सकता हैं। उप जिलाधिकारी के आदेश से क्षुब्ध पक्षकार जिलाधिकारी के समक्ष 60 दिन के भीतर अपील कर सकता हैं। यदि कोई संतानहीन माता पिता हैं तो वह ऐसे व्यक्ति से भरण पोषण प्राप्त कर सकते हैं जो उनकी मृत्यु होने पर उनकी संपत्ति प्राप्त करेगा।

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