भारतीय कृषि अनुसंधान ने कृषि विकास में निभाई अग्रणी भूमिका

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By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 05:31 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 05:31 PM (IST)
भारतीय कृषि अनुसंधान ने कृषि विकास में निभाई अग्रणी भूमिका
भारतीय कृषि अनुसंधान ने कृषि विकास में निभाई अग्रणी भूमिका

जागरण संवाददाता, मऊ : भारतीय बीज संस्थान कुशमौर के निदेशक डा. संजय कुमार ने कहा कि अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना बीज के तहत देश भर के विभिन्न संस्थानों में गुणवत्ता बीज उत्पादन कार्यक्रम और बीज प्रौद्योगिकी अनुसंधान चल रहा है। विभिन्न कें द्रों में बीज उत्पादन के क्षेत्र में शोध एवं जनक बीजों के उत्पादन से किसानों के फसलों के उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है। संस्थान ने किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन और वितरण के लिए बीज ग्राम योजना भी संचालित की है।

शताब्दी वर्ष पूर्ण करने के मद्देनजर डा. सिंह ने कहा कि पिछले दो वर्षों से अनुसूचित जाति उप योजना के तहत अनुसूचित जाति के लोगों को विभिन्न फसलों के बीज उपलब्ध कराए गए हैं। इससे जिले एवं आस-पास के किसानों में नई प्रजातियों एवं गुणवत्तायुक्त बीज के उपयोग में अभिरुचि बढ़ी है। संस्थान वार्षिक रूप से देश की आवश्यकतानुसार विभिन्न फसलों के लगभग एक लाख क्विटल गुणवत्ता वाले जनक बीज का उत्पादन कर रहा है और इसे विभिन्न बीज उत्पादक संस्थानों द्वारा गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन के लिए उपयोग किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि संस्थान ने जनपद में राष्ट्रीय स्तर के बीज अनुसंधान निदेशालय की स्थापना 2004 में की। निदेशालय की उपलब्धियों के आधार पर परिषद ने 2016 में बीज अनुसंधान निदेशालय को भारतीय बीज विज्ञान संस्थान में उन्नत किया।

कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूर्व में इंपीरियल काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के रूप में जाना जाता था। यह 16 जुलाई 1929 को कृषि पर रायल कमीशन की रिपोर्ट के अनुसरण में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में स्थापित किया गया था। वर्तमान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संगठन है। डा. सिंह ने कहा कि परिषद पूरे देश में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान और शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन और प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय है। देश भर में फैले 101 आईसीएआर संस्थानों और 71 कृषि विश्वविद्यालयों के साथ यह सबसे बड़े राष्ट्रीय निकायों में है। परिषद ने अपने अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से भारत में हरित क्रांति और उसके बाद के कृषि विकास की शुरुआत करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। जिसने देश के कृषि उत्पादन बढ़ाने में सक्षम बनाया है। 1950-51 से 2017-18 तक खाद्यान्न 5.6 गुना, बागवानी फसलों में 10.5 गुना, मछली 16.8 गुना, दूध 10.4 गुना और अंडे 52.9 गुना बढ़ा। इस प्रकार राष्ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा पर एक स्पष्ट प्रभाव पड़ा।

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