संसाधनों के अभाव बीच संचालित हो रहे अस्पताल

करोना काल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हो या प्राथमिक स्वास्थ्य के

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 05:10 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 05:10 PM (IST)
संसाधनों के अभाव बीच संचालित हो रहे अस्पताल
संसाधनों के अभाव बीच संचालित हो रहे अस्पताल

जागरण संवाददाता, बोझी (मऊ) : करोना काल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हो या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सीमित संसाधनों का दंश प्राय: झेलते ही रहते हैं। इसका सीधा प्रभाव क्षेत्रीय जनता पर पड़ता है जिसे मजबूत करने की जरूरत है।

जिस उद्देश्य को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़राव को उच्चीकृत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हुआ, आज भी उसका उद्देश्य पूरा नहीं हो सका। मरीजों का इलाज के लिए अन्य शहरों में जाना पड़ता है। आलम यह है कि यहां सर्जिकल व्यवस्था व सर्जन के अभाव में ओटी शुरू ही नहीं हो सकी। पांच फरवरी 2008 को प्रदेश सरकार के तत्कालीन राजस्व मंत्री फागू चौहान ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की आधारशिला रखी। तत्पश्चात निर्माण पूरा हुआ और संचालन भी शुरू हो गया। 12 वर्ष बीतने के बाद भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती न हो सकी। न कोई सर्जन और न ही फिजिशियन व एक्स-रे मशीन भी न आ सकी। सर्जन के अभाव में ओटी बंद है। अस्पताल पर जिन चिकित्सकों की नियुक्ति हुई है, वह भी किसी बहाने गायब ही रहते है। अव्यवस्था का ही बोल-बाला रहता है। ऐसे में गंभीर रोगियों को इलाज के लिए अन्यंत्र दूर-दराज के अस्पतालों को जाना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी महिला रोगियों को होती है। इस संबंध में क्षेत्र के शंभूनाथ, शिवनाथ चौहान, अखिलेश शुक्ला, रामानंद यादव, ने बताया कि 12 वर्ष सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के हुए परंतु दुर्भाग्य है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अंतर ही नहीं दिखा। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए दूसरे शहरों की शरण लेनी पड़ती है। इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़रांव के अधीक्षक डा. अशोक कुमार का कहना है कि इस बाबत हमेशा उच्चाधिकारियों आकृष्ट कराया जाता है।

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