यहां तो हर शाम 'जाम' के नाम

आबादी बढ़ी, वाहन बढ़े पर यातायात नियमों के अनुपालन की कड़ी व्यवस्था न हो सकी। स्थानीय नगर में सड़क की चौड़ाई तो अलबता बढ़ी पर पटरी पर ठेले और खोमचे वालों ने कब्जा कर लिया। तमाम दुकानें तो पटरी पर ही सजती हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jan 2019 06:06 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jan 2019 10:47 PM (IST)
यहां तो हर शाम 'जाम'  के नाम
यहां तो हर शाम 'जाम' के नाम

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : आबादी बढ़ी, वाहन बढ़े पर यातायात नियमों के अनुपालन की कड़ी व्यवस्था न हो सकी। स्थानीय नगर में सड़क की चौड़ाई तो अलबता बढ़ी पर पटरी पर ठेले और खोमचे वालों ने कब्जा कर लिया। तमाम दुकानें तो पटरी पर ही सजती हैं। अब हाल यह कि स्थानीय नगर में बस स्टेशन, मधुबन मार्ग और मझवारा मोड़ क्षेत्र में प्रतिदिन सुबह और शाम को जाम लगना आम हो गया है। रविवार की शाम को तो इस जाम में स्वयं उपजिलाधिकारी का वाहन भी फंसा रहा।

स्थानीय नगर में सड़क की पटरियों पर गुमटी एवं ठेले सजने लगे हैं। रोडवेज बसें भी स्टेशन परिसर की बजाय सड़क पर ही रूकती हैं। रही सही कसर बेतरतीब खड़े प्राइवेट सवारी वाहन पूरी कर देते हैं। ऐसे में जाम की समस्या आम हो जाती है। जाम लगने के बाद जल्दी से निकलने के प्रयास में दुपहिया वाहन चालक स्थित और बिगाड़ देते हैं। जाम लगने पर पुलिस का डंडा कभी निगम की बस को परिसर में रूकने को नहीं कहता है। यह डंडा तो इन सवारी वाहन चालकों पर गिरता है जो रोड टैक्स के साथ ही प्रतिदिन नगर पंचायत को शुल्क अदा करते हैं। प्रशासन कभी पटरी और फुटपाथ को निगलने वाले ठेले, खोमचे एवं गुमटियों पर सवाल नहीं उठाता है। बात करें इस शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान की तो लगभग नौ वर्ष पूर्व तत्कालीन एसडीएम बच्चालाल मौर्य द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद किसी ने इस समस्या की सुधि तक नहीं लिया। उधर कई बार नगर पंचायत एवं अन्य जिम्मेदारों ने अलग वाहन पार्किंग की बात तों किया पर व्यवस्था नहीं किया। प्रतिदिन सुबह मझवारा मोड़ पर लगने वाली सब्जी मंडी तक की व्यवस्था न हो सकी। नगर में मछली मंडी की व्यवस्था तो है पर नगर से इतनी दूरी पर स्थित है कि अभी तक बंद ताला खुला ही नहीं। अब तो स्थिति इतनी गंभीर हो चली है कि समस्या के स्थाई निदान की बात चलने लगी है।

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