प्रशिक्षुओं को मिलीं पुस्तकें, पठन-पाठन शुरू

पाश्चात्य सभ्यता के दौड़ में होड़ लगाए लोगों की तेजी बढ़ती संख्या जो आम जनों साथ साथ कर्मकांडी ब्राह्मणों को भी प्रभावित कर दिया था। देश व प्रदेश में घटते जा रहे कर्मकांडी ब्राह्मिनों की संख्या चिताजनक हो चुकी थी। ऐसा लग रहा था मानो कुछ वर्षों के बाद कर्मकांड के लिए ये मिलेंगे ही नहीं। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान ने

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Jan 2020 07:43 PM (IST) Updated:Sun, 19 Jan 2020 06:06 AM (IST)
प्रशिक्षुओं को मिलीं पुस्तकें, पठन-पाठन शुरू
प्रशिक्षुओं को मिलीं पुस्तकें, पठन-पाठन शुरू

जागरण संवाददाता, मऊ : पाश्चात्य सभ्यता की दौड़ में होड़ लगाए लोगों की तेजी बढ़ती संख्या ने आमजनों साथ साथ कर्मकांडी ब्राह्मणों को भी प्रभावित कर दिया था। देश व प्रदेश में घटते जा रहे कर्मकांडी ब्राह्मणों की संख्या चिताजनक हो चुकी थी। ऐसा लग रहा था मानो कुछ वर्षों के बाद कर्मकांड के लिए ये मिलेंगे ही नहीं। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान ने पूरे प्रदेश में पौरोहित्य केंद्र, संभाषण शिविर चलाने का निर्णय लिया। इसके तहत नगर के संस्कृत पाठशाला में बीती 04 जनवरी से केंद्र का विधिवत शुभारंभ हुआ। शनिवार को नामांकित हुए लगभग ढाई दर्जन प्रशिक्षुओं को कर्मकांड की पुस्तकें नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई। विद्यालय के प्रबंधक रविकांत उपाध्याय ने कहा कि आज सभी अपने बच्चे को आइएएस, आइपीएस, डाक्टर व इंजीनियर तो बनाना चाहते हैं पर अपनी संस्कृति को जीवित रखने वाली संस्कृत व संस्कार से दूर होते जा रहे हैं। संस्थान द्वारा यह उठाया गया कदम सराहनीय है। इससे अनेक कर्मकांडी ब्राह्मण निकलेंगे और लोगों को संस्कार कार्यक्रम कराने में सहूलियत मिलेगी। इसमें विद्यालय के प्राचार्य अनिल उपाध्याय, पौरोहित्य प्रशिक्षक अजय कुमार पांडेय, संभाषण प्रशिक्षिका सोनमती चौहान, गोविद पांडेय, सनद कुमार पांडेय, राजेश पांडेय, विमलेश पांडेय आदि शामिल थे।

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