नदी किनारे के कईं गांवों पर बाढ़ का खतरा

सरयू नदी के जलस्तर में तेजी से बढ़ाव का क्रम जारी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 05:30 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 09:32 PM (IST)
नदी किनारे के कईं गांवों पर बाढ़ का खतरा
नदी किनारे के कईं गांवों पर बाढ़ का खतरा

जागरण संवाददाता, दोहरीघाट (मऊ) : सरयू नदी के जलस्तर में तेजी से बढ़ाव का क्रम जारी है। इससे तटवर्ती इलाकों में दहशत है। नगर की ऐतिहासिक धरोहरों पर एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है। दोहरीघाट में गौरीशंकर घाट पर मंगलवार को जलस्तर 69.90 के सापेक्ष 15 मीटर नीचे है। बीते 24 घंटे में नदी के जलस्तर में 20 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई। नदी के खतरा बिदु पार करते ही तटवर्ती इलाकों व कस्बे में बाढ़ का पानी घुसना शुरू हो जाता है। नदी की तेज धारा अब भारत माता मंदिर पर सीधे टक्कर मार रही है। खाकी बाबा को कुटी, दुर्गा मंदिर, राम-जानकी मंदिर, लोक निर्माण विभाग का डाक बंगला, हनुमान मंदिर, शाही मस्जिद आदि ऐतिहासिक धरोहरों पर खतरा बढ़ गया है। तटवर्ती इलाकों के नई बाजार, सरहरा, नवली, पतनई, कीर्तिपुर, बीबीपुर, गौरीडीह, रसूलपुर, बेलौली और सूरजपुर आदि गावों में बाढ़ का खतरा भी मंडराने लगा है। 1500 एकड़ कृषि योग्य भूमि काट चुकी है नदी

सरयू नदी की भीषण कटान ने धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों और कृषि योग्य भूमि को स्वयं में विलीन कर चुकी है। सरयू नदी लगभग 1500 एकड़ कृषि योग्य भूमि अब तक काट चुकी है। श्मशान घाट, गौरीशंकर घाट, खाकी बाबा घाट, जानकी घाट आदि धार्मिक सांस्कृतिक धरोहरों को 1988 से ही नदी काट रही है। प्राचीन मंदिर रामायण भवन, सत्संग भवन, श्मशान घाट का विश्राम कक्ष का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। प्रशासन ने बचाव का उपाय जरूर किया लेकिन समय बीत जाने के बाद। 1992 में तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह ने गौरीशंकर घाट पर 24 घंटा खड़े होकर मंदिर बचाने का प्रयास किया था पर वह नहीं बच पाया था। नहीं हो सका कटान से बचाव का स्थाई इंतजाम

दोहरीघाट में नदी की कटान रोकने के लिए अब तक स्थाई इंतजाम नहीं हो सका है। वर्तमान समय में पांच प्रोजेक्ट कटान से बचाव के लिए प्रस्तावित हैं। कार्य प्रारंभ भी हो हुआ है पर पूर्ण नहीं हो सका है। गत वर्ष भारत माता मंदिर और श्मशान घाट पर कटान हुई। वर्तमान समय में जानकी घाट पर लांचिग हो रहा है। घाटों के घाट दोहरीघाट में सभी घाट कमोबेश नदी की धारा में विलीन हुए हैं। रामपुर धनौली, लोहरा देवारा, नवली, कीर्तिपुर, सरहरा, बीवीपुर, गोधनी, रसूलपुर और सूरजपुर में सिचाई विभाग ने जितना पैसा कटान को रोकने के लिए खर्च किया, उतनी राशि से अगर एक बार जगह-जगह बोल्डर रखा गया होता तो पहाड़ बन जाता। लेकिन सिचाई विभाग की कारगुजारी के चलते नदी ने सबके मंसूबे पर पानी फेर दिया है। रामनगर से सूरजपुर तक का तटवर्ती इलाका आज भी संवेदनशील बना हुआ है।

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