घाघरा का कहर शुरू, रफ्तार पर कटान

नेपाल राष्ट्र से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिए जा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 06:03 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 09:45 PM (IST)
घाघरा का कहर शुरू, रफ्तार पर कटान
घाघरा का कहर शुरू, रफ्तार पर कटान

जागरण संवाददाता, दोहरीघाट/मधुबन (मऊ) : नेपाल राष्ट्र से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिए जाने के बाद घाघरा के लहरों ने कहर मचाना शुरू कर दिया है। नेपाली से पानी आने से जहां नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि दर्ज की जाने लगी है तो वहीं मधुबन तहसील के तटवर्ती गांवों में कटान ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। कटान की दहशत और खौफ से कई परिवारों के लोगों ने अपने घरों को छोड़ सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना शुरू कर दिया है। कई गांवों के लोग रतजगा कर रहे हैं।

पिछले 24 घंटे में घाघरा के जलस्तर में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है। पहले घाघरा का जलस्तर 68.75 मीटर पर था। शुक्रवार की सायंकाल गौरी शंकर घाट का जलस्तर 69.20 मीटर पहुंच गया। 24 घंटा के भीतर जलस्तर में 45 सेंटीमीटर की वृद्धि भीषण खतरे का संकेत है। नेपाल से पानी छोड़े जाने से तटवर्ती इलाकों के वाशिदों की बेचैनी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि घाघरा का जलस्तर शीघ्र स्थिर नहीं हुई तो कटान की रफ्तार और तेज होगी। उप जिलाधिकारी डा. सीएल सोनकर ने कहा कि बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। राजस्व कर्मियों को बाढ़ चौकियों पर पैनी नजर रखने का निर्देश दिया गया है। बाढ़ चौकी रामनगर, गौरी शंकर घाट और बीबीपुर कैनाल हेड आदि क्षेत्रों के लेखपालों को जगह-जगह तैनात कर दिया गया है। फिलहाल घाघरा खतरे के निशान से सिर्फ 70 सेंटीमीटर नीचे है, लेकिन लहरों का दबाव बढ़ता जा रहा है। मुक्तिधाम श्मशान घाट, भारत माता मंदिर, डोमराज का मकान, वृद्ध आश्रम, गौरी शंकर घाट और जानकी घाट पर खतरा बढ़ गया है। जानकी घाट के समीप नदी बैक रोलिग कर रही है जिससे सुरक्षा में लगाया गया बोल्डर बेबस साबित होने लगे हैं। गौरी शंकर घाट पर तैनात सिचाई विभाग के जेई जेपी यादव ने बताया बाढ़ से तटवर्ती इलाकों को बचाने के लिए विभाग तैयार है। बचाव की सारी तैयारियां की गई हैं। बरसात के पहले कटर निर्माण प्रोजेक्ट पूरा न होने पर मुक्तिधाम के समीप खतरा बढ़ सकता है। इनसेट :

समूचे बिटोलिया गांव के अस्तित्व पर खतरा

मधुबन (मऊ) : अजय, रामलाल, रामनिवास, भूपेंद्र, रबिन्द्र, लाली, रामशंकर, रामजीत, दिनेश, विकाउ, देऊ, नखडू यह कुछ ऐसे नाम हैं जिनके सर पर कल तक उनकी अपनी छत थी, लेकिन इनके घर घाघरा की प्रलयंकारी लहरों की कटान की भेंट चढ़ चुके हैं। परिवार सहित इन लोगों को प्राथमिक विद्यालय में शरण लेना पड़ा है। कटान से समूचे बिटोलिया गांव का अस्तित्व खतरे में है। कई परिवार अपने रिश्तेदारों के घर सामान पहुंचा रहे हैं और सुरक्षित ठिकाना तलाश रहे हैं।जिला प्रशासन की ओर से तटवर्ती गांवों की तरफ नदी की पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

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