कोरोना काल में किसानों के लिए महफूज बनी खेती
जागरण संवाददाता मऊ देश भले ही कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है और सारे लघु उद्योग
जागरण संवाददाता, मऊ : देश भले ही कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है और सारे लघु उद्योग धंधे बंद पड़े हैं। लोगों को रोजी-रोटी के लाले पड़े हों लेकिन देश का किसान खुशहाल है। उसे दो जून की रोटी का इंतजार नहीं करना है। वह अपने खेती के बल पर अपना व अपने परिवार के जीविका की गाड़ी को खिच रहा है। ऐसे में गेहूं बेचना किसानों के लिए कोरोना काल संजीवनी साबित हो रहा है। किसान अपना गेहूं क्रय केंद्रों पर बेचकर रकम लेकर घर जा रहा है। इससे वह अपने बेटियों के हाथ जहां पीले कर रहा है वहीं आराम से आजीविका चल रही है। उसे यह चिता नहीं है कि उसे रोटी कहां से मिलेगी। जनपद में अब तक गेहूं खरीद का करीब 15 करोड़ रुपये किसानों का भुगतान किया जा चुका है। अभी भी सात करोड़ रुपये किसानों को विभाग की तरफ से देना है। यानी 67 फीसद किसानों का भुगतान किया जा चुका है।
कोरोना के कहर की वजह से लगातार 30 अप्रैल से ही लॉकडाउन चल रहा है। विकास के सभी कार्य जहां बंद हैं वहीं पूरा बाजारों में सन्नाटा हैं। सारी गतिविधियां बंद कर दी गई हैं। इसकी वजह से आम आदमी, मजदूर व गरीबों के समक्ष रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू है। ऐसे में अब तक 2633 किसान अपना गेहूं जनपद के 48 क्रय केंद्रों पर करीब 11309.32 टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। इसका करीब 22.33 करोड़ रुपये किसानों का भुगतान किया जाना है। इसमें से करीब 15.14 करोड़ रुपये किसानों का खाते में भेज दिया गया है। अभी 7.19 करोड़ रुपये किसानों का बकाया है। लॉकडाउन में किसान पूरी तरह से खुशहाल है। उसके पास पर्याप्त धनराशि गेहूं बेचने के बाद है। इससे वह अपने बेटियों के जहां हाथ पीले कर रहा है बल्कि उसकी जिदगी की गाड़ी भी पटरी पर दौड़ रही है। घोसी के किसान मुहम्मददाबाद गोहना के सुतहरी के किसान दिनेश सिंह, जैनवां के मिथिलेश सिंह, चकभदड़ी के नौशाद खान, सुरहुरपुर के सुरजीत राय, गालिबपुर के नवाज खान का कहना है कि लाकडाउन में गेहूं के बेचने से मिली धनराशि से उनका जीवन-गुजर बेहतर चल रहा है। कई लोगों के घर में शादियां भी थीं। उनकी मदद में उधार भी धनराशि दी गई है। चाहे कोई भी आफत आ जाए लेकिन खेती हम लोगों के लिए जीवन का आधार है।
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किसानों के गेहूं का भुगतान सीधे पीएफएमएस के माध्यम से खाते में भेजा जा रहा है। गेहूं खरीद के दो से तीन दिन बाद ही उनके खाते में धनराशि भेज दी जा रही है। लगभग सभी किसानों का भुगतान हो चुका है। कुछ लोगों का बाकी है, वह भी भेजा जा रहा है।
--विपुल कुमार सिन्हा, डिप्टी आरएमओ।