कीचड़ पर उन्नति हलना प्रजाति के गेहूं की बोवाई करें किसान
जागरण संवाददाता घोसी (मऊ) अगर खेत में ज्यादा नमी या पानी है तो किसान को परेशान होने की
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : अगर खेत में ज्यादा नमी या पानी है तो किसान को परेशान होने की जरूरत नहीं है। वे हलना प्रजाति के गेहूं की बोवाई करें। इस वर्ष अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में अनवरत पांच दिनों तक बारिश हुई, फिर दस दिनों बाद दोबारा बारिश होने से ताल एवं नहर के किनारे के खेतों में अभी पानी या कीचड़ है। इसके चलते दिसंबर के अंतिम सप्ताह या जनवरी माह में ही गेहूं की बोवाई संभव है। यहां अति विलंबित बोवाई के लिए किसान फोटो नानसेंसिटिव प्रजाति (प्रकाश के प्रति असंवेदनशील) की प्रजातियों का चयन कर अन्य प्रजातियों के समान ही उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
इस बार अनवरत बारिश के चलते ताल एवं नहर क्षेत्र के खेतों में अब भी जलजमाव या कीचड़ है। गन्ना की पेड़ी काटकर या आलू की अगैती खेती करने वाले या धान की विलंबित प्रजाति की रोपाई करने वाले किसानों के खेत की बोवाई भी विलंबित होगी। जिला कृषि अधिकारी उमेश कुमार ने 25 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच ही बोवाई संभव होने पर किसानों को प्रकाश के प्रति असंवेदनशील उन्नत हलना (के-9423), के 424 (गोल्डन हलना) डीबीडब्लू-14, एचयूडब्लू 234, एनडीडब्लू 1014, 1076 या के 7903 की बोआई करने की सलाह दी हैं। इन प्रजातियों का भी उत्पादन 45-50 कुंतल प्रति हेक्टेयर या इससे अधिक है। कृषि अधिकारी ने 15 दिसंबर के बाद गेहूं की विलंबित एवं 25 दिसंबर के बाद जनवरी माह के प्रथम सप्ताह तक अतिविलंबित प्रजातियों के गेहूं के बीज का प्रयोग करने सलाह देते हैं। 15 दिसंबर के बाद अन्य प्रजातियों की बोवाई करने पर पौधे की बाढ़ एवं उत्पादन दोनों ही प्रभावित होता है। कारण यह है कि देर से बोवाई करने पर मृदा एवं वातावरण का कम तापमान जमाव को प्रभावित करता है। मध्य फरवरी के बाद तेज एवं गर्म हवा चलती है। इससे पछैती गेहूं की उपज में कमी आती है। इसके चलते गेहूं की अति विलंबित बोवाई करने के दौरान प्रजाति चयन को लेकर सतर्कता अनिवार्य है। अति विलंबित बोवाई करने के लिए 11 टाइन बाली सीडड्रिल से बोवाई करने के परिणाम बेहतर होते हैं। यदि ऐसा संभव न हो तो छिटकवा विधि से बोवाई करने की दशा में 150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का प्रयोग करें। अच्छी उपज के लिए किसान 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किग्रा फास्फोरस, 40 किग्रा पोटाश एवं 200 किग्रा जिप्सम प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें। बोवाई विलंबित होने पर किसान बीज के एक समान जमाव के लिए 21 की दिन की बजाय बोवाई के 12-15 दिनों बाद ही सिचाई कर दें।