करोड़ों खर्च के बाद भी गड्ढों से नहीं मिली मुक्ति

जागरण संवाददाता पूराघाट (मऊ) करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद कोपागंज से ग्राम पंच

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 05:37 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 05:48 PM (IST)
करोड़ों खर्च के बाद भी गड्ढों से नहीं मिली मुक्ति
करोड़ों खर्च के बाद भी गड्ढों से नहीं मिली मुक्ति

जागरण संवाददाता, पूराघाट (मऊ) : करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद कोपागंज से ग्राम पंचायत कसारा को जाने वाली सड़क पर गड्ढों से मुक्ति नहीं मिल पाई। बड़े-बड़े गड्ढे होने की वजह से आए दिन लोग चोटिल होकर गिर रहे हैं। पांच साल से सड़क की स्थिति चलने लायक नहीं रह गई है।

कोपागंज के कसारा मोड़ से ग्राम पंचायत कसारा तक 2016-17 में कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी द्वारा ठेकेदार त्रिदेव कंस्ट्रक्शन ने 259.59 लाख रुपये में कार्य कराया था। जब सड़क का निर्माण कार्य हो रहा था उस समय ग्रामीणों ने घटिया सामग्री लगाने को लेकर प्रदर्शन भी किया था। बावजूद इसके लोगों की नाराजगी को अनदेखी कर जल्दबाजी में सड़क निर्माण कार्य पूरा कर दिया गया। सड़क के किनारे नालियां बनानी थीं। कुछ जगहों पर तो नालियां बनी लेकिन उसको खुला छोड़ दिया गया। नालियां कहीं-कहीं बनी थीं। उसका अब कहीं अता-पता नहीं रह गया है। इससे लोगों के घरों का गंदा पानी सड़कों पर फैल रहा है। बारिश के समय उस पर चलना दूभर हो गया है।

---------------------- सड़क की कहानी, ग्रामीणों की जुबानी

कसारा मोड़ से ग्राम पंचायत कसारा तक सड़क दयनीय स्थिति में है। इस पर लोग चलने से कतराने लगे हैं क्योंकि रात छोड़िए दिन में ही रोज हादसे का शिकार हो रहे हैं।

धीरेंद्र सिंह, निवासी कोपाकोहन

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प्रतिदिन सड़क पर सैकड़ों बच्चे विद्यालय आते-जाते हैं। इससे कीचड़युक्त सड़क होने के कारण उनका ड्रेस खराब हो जाता है। गड्ढा में गिरकर चोटिल भी होते रहते हैं।

श्रवण शर्मा, निवासी ह़कीमपुरा

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सड़क के किनारे नालियां नहीं दिखाईं दे रही हैं। लोगों के घरों का पानी सड़क पर आने से गड्ढों में हमेशा पानी भरा रहता है। इस मार्ग पर चलना मौत को दावत देने जैसा है।

मुरलीधर यादव, पूर्व प्रधान लैरोबेरुआर

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कोपागंज कस्बा से कसारा तक साढ़े पांच किलोमीटर सड़क करोड़ों रुपये खर्च कर बनाया गया था लेकिन गड्ढे लोगों का स्वागत करते हैं। यह अपनी दुर्गति पर आंसू बहा रही है।

रामजी साहनी, निवासी कोपाकोहना

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