बदले मौसम से दलहनी-तिलहनी पर संकट
रबी सीजन पर बहुप्रतिक्षा के बाद जनपद के सवा दो लाख किसानों पर प्रकृति की रहमत बरसी। मंगलवार व बुधवार को हुई बारिश के बाद फसल लहलहा उठी। इसके बाद भी अभी तक मौसम का तेवर अभी तक बना हुआ है। आसमान में लगातार चार दिन से बादलों ने डेरा जमा रखा है। इससे दलहनी व तिलहनी फसलों पर संकट के बादल उमड़े हुए हैं।
जागरण संवाददाता, मऊ : रबी सीजन पर बहुप्रतिक्षा के बाद जनपद के सवा दो लाख किसानों पर प्रकृति की रहमत बरसी। मंगलवार व बुधवार को हुई बारिश के बाद फसल लहलहा उठी। इसके बाद भी अभी तक मौसम का तेवर अभी तक बना हुआ है। आसमान में लगातार चार दिन से बादलों ने डेरा जमा रखा है। इससे दलहनी व तिलहनी फसलों पर संकट के बादल उमड़े हुए हैं। अगर एक-दो दिन बादलों की स्थिति यही बनी रही तो तिलहनी फसलों माहो कीटों का प्रकोप बढ़ जाएगा। हालांकि बदले मौसम का लाभ 97 हजार हेक्टेयर खेतों बोई गई गेहूं की फसल को हो रहा है।
बीते वर्ष खरीफ के सीजन में अगस्त-सितंबर माह में ही हल्की बारिश हुई थी। इसका खामियाजा रहा कि
धान की फसल भी मराता हो गई। जिन किसानों के पास अपने खुद के ¨सचाई के संसाधन थे वे ही कुछ हद तक धान की फसल काट पाए। अधिकांशत: किसानों की धान की फसल पानी के अभाव में खराब हो गई। अब रबी के सीजन में किसान किसी तरह से खेतों की भराई कर गेहूं की फसल तो बो दिए परंतु ¨सचाई के लिए परेशानी होने लगी। ऐसे में मौसम ने भी ऐसे तेवर बदले कि माघ माह में मानो फागुन का एहसास होने लगा। इस शीत ऋतु में एक भी दिन कोहरा नहीं पड़ा। ऐसे में फसलों को लेकर किसानों की ¨चता बढ़ने लगी थी। इसी बीच तीन दिन पूर्व मौसम बदला और मंगलवार की रात्रि तथा बुधवार की सुबह बारिश हुई। जिससे किसानों को संजीवनी मिल गई। अभी भी आसमान में पूरी तरह से बादल छाए हुए हैं और सुबह अच्छा कोहरा भी पड़ रहा है। ऐसा मौसम गेहूं के लिए अनुकूल तो है परंतु दलहनी व तिलहनी फसलों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।