प्रशासन के रडार पर दर्जनों ग्राम पंचायतें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत मिशन जनपद में धरातल पर फेल्योर साबित होता नजर आ रहा है। केंद्र व प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद शौचालयों का निर्माण अत्यंत धीमा है।
जागरण संवाददाता, मऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत मिशन जनपद में धरातल पर फेल्योर साबित होता नजर आ रहा है। केंद्र व प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद शौचालयों का निर्माण अत्यंत धीमा है। अभी तक मिशन के तहत एसबीएम के शौचालयों का निर्माण 100 फीसदी नहीं बन पाए तो एलओबी यानि 'लेफ्ट आउट बेसलाइन' के शौचालयों के निर्माण की गति अत्यंत खराब है। स्थिति यह है कि 679 ग्राम पंचायतों में से 205 ग्राम पंचायतों में 10 फीसदी भी शौचालयों का निर्माण नहीं हुआ। इसमें शून्य निर्माण वाली ग्राम पंचायतों पर प्रशासन की नजर टेड़ी है। जल्द ही गाज भी गिर सकती है।
एलओबी के तहत जनपद में 48 हजार शौचालय बनाए जाने हैं। इन शौचालयों के लाभार्थी ऐसे हैं जो स्वच्छ भारत मिशन से वंचित रह गए थे। ऐसे परिवारों को सरकार ने शौचालय देकर जनपद को पूर्णरूप से ओडीएफ यानि खुले में शौच से मुक्त करने का सपना था। ग्राम पंचायतों की घोर लापरवाही का परिणाम है कि इतनी बड़ी तादात में ग्राम पंचायतें संवेदनहीन बनी हुई हैं। स्वच्छ भारत मिशन में भी यही स्थिति है। तत्कालीन जिलाधिकारी प्रकाश बिदु ने खुद कमान अपने हाथ में ले ली थी और रोजाना सुबह-शाम मानिटरिग शुरू हुई तो निर्माण में गति आई। धीरे-धीरे मिशन भी कमजोर होता गया और अभी तक 87 फीसदी ही शौचालय बन पाए। इधर यही हाल एलओबी का भी है। भले ही प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ओडीएफ करने का सपना पाले हुए हों परंतु कुछ ग्राम पंचायतों को इससे कुछ लेना-देना नहीं। केंद्र व प्रदेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट होने के बावजूद भी 18 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं कि जहां एलओबी के एक भी शौचालय नहीं बने। अब प्रशासन ने ऐसी पंचायतों को चिह्नित किया है। वर्जन--
शौचालयों के निर्माण की प्रगति अत्यंत निराशाजनक है। सभी ग्राम पंचायतों को निर्देश दिए गए हैं। साथ ही खराब प्रगति वाली ग्राम पंचायतों को चिह्नित भी किया जा रहा है।
- एसपी सिंह, डीपीआरओ मऊ।