मऊ की 675 ग्राम पंचायतों के डोंगल ब्लाक
मनरेगा की तर्ज पर ग्राम पंचायतों को मिलने वाली केंद्र सरकार का 14वां वित्त व प्रदेश सरकार के राज्यवित्त का पेमेंट भी आनलाइन कर दिया गया है। शासन के निर्देश पर ग्राम पंचायतों में पेमेंट के लिए ग्राम प्रधानों व सचिवों के संयुक्त हस्ताक्षर से बने डोंगल को जिला प्रशासन ने ब्लाक कर दिया है।
जागरण संवाददाता, मऊ : मनरेगा की तर्ज पर ग्राम पंचायतों को मिलने वाली केंद्र सरकार का 14वां वित्त व प्रदेश सरकार के राज्यवित्त का पेमेंट भी आनलाइन कर दिया गया है। शासन के निर्देश पर ग्राम पंचायतों में पेमेंट के लिए ग्राम प्रधानों व सचिवों के संयुक्त हस्ताक्षर से बने डोंगल को जिला प्रशासन ने ब्लाक कर दिया है। इसके चलते जनपद के कुल 675 ग्राम पंचायतों के पेमेंट पर रोक लगा दी गई है। जबकि अन्य जनपदों में इसी डोंगल के तहत ग्राम पंचायतें पेमेंट कर रही हैं। इसका नतीजा यह है कि जनपद के प्रधानों व सचिवों में प्रशासन के विरुद्ध घोर आक्रोश व्याप्त हो गया है।
शासन ने ग्राम पंचायतों में पीएफएमएस यानि 'पब्लिक फाइनेंस मैनजेमेंट सिस्टम' के तहत डोंगल बनाने का आदेश जारी किया था। सभी ग्राम पंचायतों को आनलाइन करने के लिए बीते कई महीनों जनपद में ग्राम पंचायतों का पेमेंट बाधित रहा। ग्राम पंचायतों के पूर्व का लेखाजोखा आनलाइन करने में कई माह लग गए। अब जब ग्राम पंचायतों का डोंगल बनकर तैयार हो गया और ग्राम पंचायतों द्वारा कराए गए कार्यों का आनलाइन प्रणाली के तहत पेमेंट शुरू हो गया तो जिलाधिकारी ने शनिवार को इस पर रोक लगाने का आदेश दिया। जिलाधिकारी के निर्देश पर रविवार को सभी ग्राम पंचायतों के डोंगल को जनपद मुख्यालय से ब्लाक कर दिया गया। अब ग्राम पंचायतों का डोंगल न रहकर सभी खंड विकास अधिकारियों का एकमात्र डोंगल ही बनाया जाएगा। अब मनरेगा की तर्ज पर सिर्फ खंड विकास अधिकारी ही आनलाइन पेमेंट करने के लिए उत्तरदायी होंगे। इनसेट--
कहीं मनरेगा का हश्र न हो जाए वित्त योजना का
मनरेगा के तहत प्रत्येक वर्ष मैटेरियल मद में करोड़ों का अनियमित भुगतान होता है। इस वर्ष ही चंद मिनटों में रानीपुर, दोहरीघाट, बड़रांव, फतहेपुर मंडाव सहित कई ब्लाकों में 13 करोड़ का भुगतान कर दिया गया। इसमें खास यह रहा कि चंद चहेती ग्राम पंचायतों पर खंड विकास अधिकारियों की जमकर रहमत बरसी। ..और अब तो शासन के आदेश को दरकिनार करते हुए जिला प्रशासन ग्राम पंचायतों का अधिकार छीनते हुए खंड विकास अधिकारियों को यह अधिकार देने पर तुला है। ऐसे में भारी गोलमाल की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।