बेकाम साबित हो रहा दोहरीघाट पंप कैनाल
जागरण संवाददाता दोहरीघाट (मऊ) किसानों के लिए वरदान साबित होने वाली पंप नहर दोहरीघा
जागरण संवाददाता दोहरीघाट (मऊ) : किसानों के लिए वरदान साबित होने वाली पंप नहर दोहरीघाट सिचाई विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते बेईमानी बन गई है। नहर में सिल्ट भरा हुआ है जबकि नदी में पंप हाउस के सामने सिल्ट का पहाड़ बन गया है।
प्रतिवर्ष नवंबर में नहर एवं नदी में पंप हाउस के सामने जमी सिल्ट की सफाई होती है। इस बार दिसंबर में भी कार्य प्रारंभ न हो सका है। जनपद सहित पड़ोस के किसानों की दशा सुधारने के लिए प्रथम पंचवर्षीय योजना में पं अलगू राय शास्त्री के प्रयास से तत्कालीन सिचाई मंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी ने साधन विहीन किसानों को दोहरीघाट पंप कैनाल के रूप में सिचाई का उत्तम साधन दिया था। वर्तमान समय में पंप नहर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है। पंप हाउस के सामने बने चैनल में भारी सिल्ट जमा है। इसको समय से पहले हटाया नहीं गया तो पंप तक नदी का पानी ही नहीं पहुंच सकेगा।
नदी तल से चैनल सिल्ट से पट गया है। दूसरा चैनल बनाने को सिचाई विभाग को भगीरथ प्रयास करना होगा। मौके पर वास्तविक जानकारी देने को कोई अधिकारी या कर्मचारी नहीं है। नहर से 350 किलोमीटर के किसानों को सिचाई की सुविधा प्राप्त होती है। इन किसानों के खेतों की सिचाई के लिए 55 माइनर हैं। सिचाई विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते पंप नहर का अस्तित्व संकट में है। एक बड़ी विडंबना यह है कि नदी में जमा सिल्ट एवं बालू की सफाई के लिए यहां पर लाखों की लागत का ड्रेजर भी उपलब्ध है। यह ड्रेजर इन दिनों धूल फांक रहा है।