जनवरी तक बोएं हलना, अच्छी उपज पाएं

अभी खेत में पानी है या कीचड़ के चलते दिसंबर के अंतिम सप्ताह या जनवरी माह में ही गेहूं की बोआई संभव है तो कोई बात नहीं। ऐसे किसान कदापि चितित न हों।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 06:02 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 06:02 PM (IST)
जनवरी तक बोएं हलना, अच्छी उपज पाएं
जनवरी तक बोएं हलना, अच्छी उपज पाएं

अरविद राय, घोसी (मऊ) :

अभी खेत में पानी है या कीचड़ के चलते दिसंबर के अंतिम सप्ताह या जनवरी माह में ही गेहूं की बोआई संभव है, तो कोई बात नहीं। ऐसे किसान कदापि चितित न हों। अतिविलंबित बोआई के लिए किसान फोटो नानसेंसिटिव प्रजाति (प्रकाश के प्रति असंवेदनशील) की प्रजातियों का चयन कर अन्य प्रजातियों के समान ही उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

इस बार पूर्वांचल में सितंबर माह में हुई अनवरत बारिश के चलते ताल एवं नहर क्षेत्र के खेतों में अब भी जलजमाव या कीचड़ है। गन्ना की पेड़ी काट कर या आलू की अगैती खेती करने वाले या धान की विलंबित प्रजाति की रोपाई करने वाले किसानों के खेत की बोआई भी विलंबित होगी। वाराणसी के कृषि वैज्ञानिक डा.एनके सिंह ने 25 सितंबर के बाद ही बोआई संभव होने पर किसानों को प्रकाश के प्रति असंवेदनशील उन्नत हलना (के -9423), के 424 (गोल्डन हलना) डीबीडब्लू-14, एचयूडब्लू 234, एनडीडब्लू 1014, 1076 या के 7903 की बोआई करने की सलाह देते हैं। इन प्रजातियों का भी उत्पादन 45-50 कुंतल प्रति हेक्टेयर या इससे अधिक है। कृषि वैज्ञानिक 15 दिसंबर के बाद गेहूं की विलंबित एवं 25 दिसंबर के बाद जनवरी माह के प्रथम सप्ताह तक अतिविलंबित प्रजातियों के गेहूं के बीज का प्रयोग करने सलाह देते हैं। 15 दिसंबर के बाद अन्य प्रजातियों की बोआई करने पर पौधे की बाढ़ एवं उत्पादन दोनों ही प्रभावित होता है। कारण यह कि देर से बोआई करने पर मृदा एवं वातावरण का कम तापमान जमाव को प्रभावित करता है। मध्य फरवरी के बाद तेज एवं गर्म हवा चलती है। इससे पिछैते गेहूं की उपज में कमी आती है। इसके चलते गेहूं की अति विलंबित बोआई करने के दौरान प्रजाति चयन को लेकर सतर्कता अनिवार्य है। अतिवलिबित बोआई करने के लिए 11 टाइन बाली सीड ड्रिल से बोआई करने के परिणाम बेहतर होते हैं। यदि ऐसा संभव न हो तो छिटकवा विधि से बेाआई करने की दशा में 150 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज का प्रयोग करें। अच्छी उपज हेतु किसान 100 किग्रा नत्रजन, 40 किग्रा फास्फोरस, 40 किग्रा पोटाश एवं 200 किग्रा जिप्सम प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें। बोआई विलंबित होने पर किसान बीज के एक समान जमाव हेतु 21 की दिन की बजाय बोआई के 12-15 दिनों बाद ही सिचाई कर दें।

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