साल दर साल घटता जा रहा चीनी मिल का गन्ना क्षेत्र

यूं ही अब चीनी मिल प्रतिवर्ष घाटे में नहीं चल रही है। तमाम कारणों में प्रमुख कारण मिल को

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 04:53 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 04:53 PM (IST)
साल दर साल घटता जा रहा चीनी मिल का गन्ना क्षेत्र
साल दर साल घटता जा रहा चीनी मिल का गन्ना क्षेत्र

यूं ही अब चीनी मिल प्रतिवर्ष घाटे में नहीं चल रही है। तमाम कारणों में प्रमुख कारण मिल को क्षमता के अनुरूप गन्ना नहीं मिलना है। इसके पीछे मिल से लेकर गन्ना विकास समिति एवं जनप्रतिनिधि तक दोषी हैं। किसी जमाने में गन्ना ही एकमात्र फसल थी जिसकी शासकीय समर्थन मूल्य पर खरीद होती थी। एक माह के भीतर किसान को नकद भुगतान प्राप्त होता था। तब अन्य फसलों को किसान व्यवसाइयों के हाथ औने-पौने दाम बेचने को विवश होता था। इसके चलते किसान गन्ना की खेती करते थे। कालांतर में चीनी मिल ने पर्ची वितरण से लेकर गन्ना मूल्य भुगतान में ऐसा खेल किया कि किसानों ने गन्ना से तौबा कर लिया।

चीनी मिल में इस सत्र के पेराई सत्र का शुभारंभ हो गया है पर गत वर्ष 16 मार्च के बाद गन्ना बेचने वालों किसानों की बकाया राशि का भुगतान न हो सका है। दावे तमाम हैं। मिल से लेकर गन्ना विकास समिति एवं गन्ना विकास परिषद किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहन की कवायद में हैं। बावजूद इसके दो दशक पूर्व गन्ना मूल्य भुगतान में विलंब, पर्ची की समस्या सहित अन्य कारणों से विमुख गन्ना किसान अभी तक दोबारा गन्ना उत्पादन का साहस न जुटा सके हैं। ऐसे में हजारों घरों की आजीविका का सहारा एवं जिले की आर्थिक आय का मजबूत स्त्रोत चीनी मिल घाटे में चल रही है। इसके बीच बड़ी विडंबना यह कि किसानों को प्रोत्साहित करने को चीनी मिल शुगर डेवलपमेंट फंड से ऋण के साथ ही चुनिदा प्रगतिशील किसानों को मुफ्त में प्रेस मड खाद दिए जाने की योजना भी डेढ़ दशक पूर्व बंद हो गई। ऐसे में गन्ना विकास एवं अधिक गन्ना उत्पादन की बात बेमानी नजर आती है। आंकड़े भी किसानों के मुंह मोड़ने की गवाही देते हैं। हालांकि प्रचलन में नई एवं उन्नतिशील प्रजातियों के आने से उत्पादन गत वर्ष 606 क्विटल प्रति हेक्टेयर रहा तो इस वर्ष 634 क्िवटल पर आ पहुंचा है। बावजूद इसके अहम बात यह कि गन्ने से विमुख किसान वापस गन्ना की खेती की तरफ नहीं मुड़ रहे हैं।

बिचौलियों के हस्तक्षेप को समाप्त करने के लिए प्रत्येक किसान के मोबाइल पर गन्ना लाने की तिथि की सूचना प्रेषित की जा रही है। शासन से प्राप्त राशि एवं चीनी बेचने से प्राप्त राशि से पुराने भुगतान सहित इस वर्ष क्रय गन्ने के मूल्य का भुगतान किया जाएगा। किसानों को हर संभव सुविधा दी जाएगी। गन्ने की खेती को प्रोत्साहित करने को चीनी मिल हर संभव उपाय अपनाएगी।

- एलपी सोनकर, प्रधान प्रबंधक घोसी चीनी मिल।

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आंकड़ों की नजर में गन्ना उत्पादन--

वर्षवार क्षेत्रफल (हेक्टेयर में)--

2005-06 - 13461

06-07 - 10396

07-08 - 15066

08-09 - 8466

09-10 - 8566

10-11 - 8500

11-12 - 9067

12-13 - 9324

13-14 - 11459

14-15 - 10984

15-16 - 19641

16-17 - 8406

17-18 9564

18-19 - 9857

19-20 - 9562

20-21 - 8963

21-22 - 6463

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