यातायात के नियमों के अनुपालन में घोर लापरवाही

जागरण संवाददाता मऊ सड़क पर सफर करते हुए यदि यातायात नियमों का पालन न किया जाए तो परि

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 10:54 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 11:15 PM (IST)
यातायात के नियमों के अनुपालन में घोर लापरवाही
यातायात के नियमों के अनुपालन में घोर लापरवाही

जागरण संवाददाता, मऊ : सड़क पर सफर करते हुए यदि यातायात नियमों का पालन न किया जाए तो परिणाम स्वयं के साथ या दूसरे के साथ दुर्घटना के रूप में सामने आता है। हेलमेट लगाकर चलना हो या बिना नंबर की गाड़ी चलाना हो, पूर्वांचल के लोग इसे अपनी शान से जोड़कर देखते हैं। सड़कें बनती हैं और ओवलोड ट्रकों के चलने से कुछ ही दिनों में टूटकर गड्ढों में तब्दील हो जाती हैं। इन सबके चलते होने वाली दुर्घटनाओं में यातायात के नियमों का पालन करने वाले भी मारे जाते हैं। यातायात पुलिस हो या एआरटीओ जब कार्रवाई करना शुरू करते हैं तो कभी भ्रष्टाचार तो कभी सियासत उनकी कलम पकड़ने लगती है। यातायात पुलिस हो या एआरटीओ संसाधनों की कोई कमी नहीं है। नियमों का कड़ाई से अनुपालन करा पाने में भ्रष्टाचार और सियासत दोनों रोड़ा खड़ा कर रखा है।

आगे ब्रेकर है का चिह्न हो या आगे सड़क संकरी है का चिह्न हो, ड्राइविग लाइसेंस लेने आने वाले अधिकांश इन चिह्नों के मायने ही नहीं समझ पाते। मुड़ते समय इंडीकेटर दायें या बायें का जलाना चाहिए, लेकिन कितनी दूर से इंडीकेटर का जलना शुरू होना चाहिए यह नहीं पता है। यह तो लाइसेंस लेने आने वालों की बात हुई। सच तो यह है कि कितने ही कामर्शियल व लाइट मोटर का लाइसेंस लेने के बाद भी यातायात को सुगम व दुर्घटनामुक्त बनाने वाले इन चिह्नों का मतलब नहीं बता पा रहे हैं। लाइसेंस जारी करने से पहले क्षेत्रीय निरीक्षक तकनीक प्रशिक्षुओं की परीक्षा लेते हैं। सभी परीक्षा पास भी कर जाते हैं, लेकिन सवाल यह है कि जब तक वाहन चलाने के लिए जरूरी प्रशिक्षण ही नहीं होगा तो सड़क पर दुर्घटनाएं कैसे रुकेंगी। यातायात निरीक्षक संतोष कुमार यादव ने बताया कि उनके पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है। स्टाफ की भी संख्या पर्याप्त है। लेकिन जब वे ट्रिपलिग या बिना नंबर के वाहनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करते हैं तो बहुत से क्षेत्रीय नेताओं का दबाव आने लगता है। कभी-कभी तो जनप्रतिनिधियों के फोन भी आने लगते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि यातायात के नियमों का पालन न करने पर आनलाइन चालान प्रक्रिया शुरू होने से पारदर्शिता आनी शुरू हो गई है। ई-चालान से सियासत पर विराम लगा है।

परीक्षा पास करने वालों का ही बन रहा डीएल

डीएल की पुरानी प्रक्रिया अब नहीं है। जिसे भी ड्राइविग लाइसेंस चाहिए उसे आनलाइन आवेदन करना होता है। फिर उसे एक दिनांक और समय दिया जाता है। निर्धारित समय पर आवेदक पहुंचता है, जिसके पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र एवं शैक्षिक प्रमाण-पत्र की जांच की जाती है। इसके बाद उसे यातयात संकेतकों से जुड़े प्रश्नों की परीक्षा लेकर प्रशिक्षु लाइसेंस जारी किया जाता है। परीक्षा 15 अंकों की है, जिसमें से 09 अंक पाना जरूरी होता है। आरआइटी पंकज कुमार गौतम ने बताया कि ज्यादातर लोग यह परीक्षा पास कर जाते हैं। जो नहीं पास करता है उसका लाइसेंस नहीं बनाया जाता है। कहा कि लाइसेंस वयस्क यानि 18 वर्ष की उम्र पूरी करने वालों को ही जारी किया जाता है। अभिभावकों की लिखित सहमति पर 16 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले छात्रों का बिना गियर की मोटर साइकिल का ही लाइसेंस निर्गत किया जाता है।

ड्राइविग लाइसेंस जारी करने में पूरी सावधानी बरती जा रही है। बिना लाइसेंस वाहन चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। संसाधनों की कहीं कोई कमी नहीं है। पहले के मुकाबले प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी है। सिफारिशें आती हैं, लेकिन ई-चालान की प्रक्रिया शुरू होने के बाद सिफारिशों का सम्मान करने की जगह ही नहीं बची है। यातायात नियमों का कड़ाई से पालन करने में व्यवहारिक दिक्कते आती हैं। बावजूद इसके अब किया जा रहा है।

- महेंद्र बाबू, एआरटीओ, मऊ।

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