कोरोना ने तोड़ी बुनकरों की कमर, व्यवसाय पर असर
वलीदपुर (मऊ) कोरोना महामारी से बुनकरों का कारोबर चार माह से पूरी तरह से बंद चल रहा है। इससे बुनकरों की कमर टूट गई है। अब उनके रोटी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बुनकर समाज अब भूखमरी के कगार पर पहुंच गया हैं। यही नहीं बुनकर श्रमिकों को बैठाकर दिहाड़ी देनी पड़ रही है। इसकी वजह से उनका कारोबार चौपट होता जा रहा है।
जागरण संवाददाता, वलीदपुर (मऊ) : कोरोना महामारी से बुनकरों का कारोबार चार माह से पूरी तरह से बंद चल रहा है। व्यवसाय बंद होने से उनकी पूरी व्यवसथ पटरी से उतरती जा रही है। हालात यह की उनके रोटी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बुनकर समाज अब भूखमरी के कगार पर पहुंच गया हैं। यही नहीं उन्हें बुनकर श्रमिकों को बैठाकर दिहाड़ी देनी पड़ रही है। इसकी वजह से उनका कारोबार चौपट होता जा रहा है। बुनकर समुदाय के लोगों ने राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक से मांग किया है कि जल्द से जल्द बुनकरी कारोबार को चालू कराया जाए। ताकि बुनकर अपने परिवार की जीविका चला सके। बुनकरों का कहना है कि प्रतिबंध के चलते मऊ, सूरत व अहमदाबाद से साड़ी के मैटीरियल नहीं आ पा रहे हैं। इसकी वजह से कारोबार की गाड़ी खिच नहीं पा रही है।
अतराी निवासी सगीर अहमद का कहना है कि बुनकर समुदाय के पास बुनकरी के अलावा कोई दूसरा कारोबार नहीं है। इसी से उनकी आजीविका चलती है। चार माह से पावरलूम बंद है। अतरारी निवासी असअद सोनू ने कहा कि प्रतिबंध के चलते देश में सभी रेल, बस, हवाई जहाज बंद चल रहे हैं। इससे बुनकर अपना गांव छोड़ कर किसी दूसरे प्रांत या खाड़ी देश में कमाने नहीं जा सकता है। पुश्तैनी धंधा बंद होने से लोग फांकाकशी करने लगे हैं। अतरारी निवासी शमीम अंसारी ने कहा कि राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक किसानों को आर्थिक योजना का लाभ दिया जा रहा है। ठीक उसी तरह से बुनकरों को भी सरकारी आर्थिक लाभ मिलना चाहिए।