बीएसएनएल के प्रधान महाप्रबंधक गोरखपुर ने तलब किए रिकार्ड
जनपद के डेढ़ लाख बीएसएनएल के उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है।
जागरण संवाददाता, मऊ : जनपद के डेढ़ लाख बीएसएनएल के उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है। दैनिक जागरण में 05 जून को 'एक माह में 23 दिन बंद रही सेवाएं' शीर्षक से छपी खबर का प्रधान महाप्रबंधक बिजनस एरिया गोरखपुर विद्यानंद ने संज्ञान लिया है। प्रधान महाप्रबंधक ने मऊ की संचार व्यवस्था संबंधी संचार व्यवस्था का नक्शा, एक्टिव रिग, कटी रिग आदि सभी रिकार्ड सोमवार को तलब किए हैं। अधिकारियों की नाकामी के चलते अभी तक सरकारी सेवा की गिरती संचार व्यवस्था से प्रतिमाह लगभग 15 लाख का घाटा बीएसएनएल को उठाना पड़ रहा है। अब जबकि मामले को प्रधान महाप्रबंधक ने संज्ञान में लिया है तो जल्द इसमें सुधार की उम्मीद जग गई है।
जनपद में एक ही जगह मुहम्मदाबाद गोहना में बीते मई माह में 'एनटीआर' यानि नार्दन टेलीकाम रिजन एक दर्जन बार कटी। इसके चलते जहां 23 दिन तक बीएसएनएल की सेवाएं पूरी तरह से ठप रही तो इस डिविजन के 35 बीटीएस टावर बंद रहे। इसके साथ ही बैंकों की लीज लाइन, पोस्ट आफिस के वीपीएन, गैस एजेंसी, एलआइसी आफिस, थाने के सीसीटीएनएस सहित अधिकारियों के सीयूजी नंबर भी बंद रहे। आए दिन बीएसएनएल की केबिल के कटने का परिणाम यह रहा कि टेलीकाम क्षेत्र में धड़ल्ले से प्राइवेटाइजेशन चलता रहा। उपभोक्ता तेजी से प्राइवेट कंपनियों में बीएसएनएल का सिम पोर्ट करा रहे हैं। अभी तक इस डिविजन के लगभग 25 हजार उपभोक्ताओं ने इसका साथ छोड़ दिया है। 25 किमी की दूरी के लिए 85 किमी का है रूट
मऊ जनपद मुख्यालय से बीटीएस सरसेना की दूरी महज 25 किलोमीटर है पर बीएसएनएल का रूट 85 किलोमीटर का बना हुआ है। बीएसएनएल की हेड आफिस भुजौटी से कोपागंज, कसारा, सेमरी जमालपुर, मझवारा, माउरबोझ, घोसी, सिपाह, मधुबन को जोड़ता है। फिर मधुबन से सिपाह होते हुए धरौली, कारीसाथ, नदवासराय, मुहम्मदाबाद गोहना, रानीपुर, खुरहट, काझा, सरसेना, चिरैयाकोट तक पूरा जनपद घूमकर केबिल जाती है। इतने लंबे रूट पर अगर कहीं केबिल कट गई तो पूरा सिस्टम फेल। अब दूसरी रिग से जुड़े सरसेना-चिरैयाकोट
लगातार ध्वस्त हो रही संचार व्यवस्था को देखते हुए मुहम्मदाबाद गोहना डिविजन के लिए दूसरी रिग तैयार की जा रही है। अब मिर्जाहादीपुरा से पलिगढ़, रानीपुर, काझा, सरसेना, चिरैयाकोट के बीटीएस टावरों को आप्टिकल फाइवर से जोड़ा जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि रूट छोटा हो जाने से अगर कहीं फाल्ट भी आया तो तत्काल दुरूस्त करने में सुविधा होगी और संचार व्यवस्था भी सुदृढ़ रहेगी।