सरयू की कटान में विलीन हो गए तमाम धार्मिक धरोहर

जागरण संवाददाता मऊ भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या के बाद देश में दोहरीघाट का ऐतिहाि

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 06:02 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 06:02 PM (IST)
सरयू की कटान में विलीन हो गए तमाम धार्मिक धरोहर
सरयू की कटान में विलीन हो गए तमाम धार्मिक धरोहर

जागरण संवाददाता, मऊ : भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या के बाद देश में दोहरीघाट का ऐतिहासिक महत्व है। दोनों धार्मिक स्थानों पर सरयू नदी पश्चिम से पूरब की तरफ, फिर उत्तर की तरफ होते हुए पूरब की ओर बहती है। यही नहीं धार्मिक ²ष्टिकोण से भी यहां का मुक्तिधाम (श्मशानघाट) काशी क्षेत्र में आता है। इससे इसका धार्मिक महत्व काफी बढ़ जाता है। यही वजह है कि मऊ जनपद का दोहरीघाट की धार्मिक धरोहरों में गिनती होती है। हालांकि सरयू की प्रलयंकारी विभीषिका की वजह से यहां के तमाम सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक धरोहर नदी की धारा में कट कर विलीन हो गए। यहीं नहीं यहां के किसानों की हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि भी सरयू की धारा में समा चुकी है।

घाघरा नदी के प्रलयंकारी कटान से लगभग बीस एकड़ जमीन में बना सिद्धपुरुष नागाबाबा की कुटी, रामजानकी मंदिर, श्मशानघाट, नदी में श्रद्धालुओं के लिए बनी चार लंबी चौड़ी सीढि़यां, धर्मशाला, पचासों विशालकाय विभिन्न प्रकार के वृक्ष आदि कटकर काल के गाल में समा गए। इस प्रकार श्मशानघाट का अस्तित्व भी लगभग समाप्त हो गया था, परंतु इस क्षेत्र के विधायक और मंत्री रहे (अब विहार के राज्यपाल) फागू चौहान ने इन समाप्त धरोहरों को फिर से संजाने का काम किया। उन्होंने मुक्तिधाम संस्था की स्थापना वर्ष 2003 में की। वरिष्ठ वयोवृद्ध व समाजवादी नेता रामसिंह ने बताया कि यहां कई अन्य जनप्रतिनिधियों के माध्यम से करोड़ों रुपये खर्च कर मुक्तिधाम श्मशानघाट को सुंदर बनाया गया। गोठा निवासी समाजसेवी पूजा राय, सौरभ राय व धनौलीरामपुर निवासी हरिश्चंद्र राय ने बताया कि श्मशानघाट में सभी जमीन धनौली रामपुर ग्राम पंचायत के जमींदारों ने निश्शुल्क प्रदान किया है। इसके अलावा नकद धनराशि भी इसके सुंदरता के लिए दिया है। यहां शवयात्रा मे आए लोगों को बैठकर आराम करने और लाशों को जलाने के लिए टीनशेड बनाया। इसके अलावा नदी की सीढि़यों का पुनरुद्धार कराया। यहां देश-प्रदेश को लोग स्नान कर अपने कृतार्थ मानते हैं। --------------- दोहरीघाट कस्बा की तरफ बढ़ रही सरयू

मुक्तिधाम सेवा संस्थान के अध्यक्ष और नगर पंचायत दोहरीघाट के तीन बार अध्यक्ष रहे गुलाब चंद्र गुप्त की मानें तो पिछले कई सालों पर नजर डाला जाए तो करोड़ों रुपये कटान पर खर्च किया जा चुका है लेकिन समाधान नहीं निकल पाया है। हालात यह हो गई है कि सरयू नदी दोहरीघाट कस्बे तक बढ़ती जा रही है। यही नहीं गोरखपुर-आजमगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग से मात्र 100 मीटर दूर घाघरा बह रही है। इसलिए इस मार्ग पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अगर घाघरा की कटान को नहीं मोड़ा गया तो यह सारे अस्तित्व किसी भी समय समाप्त हो सकते हैं।

chat bot
आपका साथी