बाबा विश्वनाथ व पशुपतिनाथ के बीच रोड़ा बना प्रशासन

बाबा विश्वनाथ व पशुपतिनाथ को जोड़ने वाले वाराणसी-गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-29 को फोरलेन में तब्दील करने की निर्धारित समय सीमा में अब महज 13 दिन शेष रह गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Oct 2019 06:55 PM (IST) Updated:Thu, 17 Oct 2019 09:59 PM (IST)
बाबा विश्वनाथ व पशुपतिनाथ के बीच रोड़ा बना प्रशासन
बाबा विश्वनाथ व पशुपतिनाथ के बीच रोड़ा बना प्रशासन

विपुल सिंह 'शैलेश', मऊ

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बाबा विश्वनाथ व पशुपतिनाथ को जोड़ने वाले वाराणसी-गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-29 को फोरलेन में तब्दील करने की निर्धारित समय सीमा में अब महज 13 दिन शेष रह गए हैं। निर्माण का आलम यह कि अभी तक इस फोरलेन पर महज 36 फीसद कार्य ही हो सका है। शुरुआती तमाम अवरोधों से उबरने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल इस राजमार्ग के निर्माण में अब प्रशासन ही रोड़ा बन गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराई गई मुआवजा की राशि का वितरण चार माह से ठप है। इसके चलते एनएचआइए निर्माण की गति में तेजी नहीं ला पा रही है।

पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील यह राष्ट्रीय राजमार्ग लगभग डेढ़ दशक से उपेक्षा का शिकार था। इसे फोरलेन बनाए जाने की जनता की आस केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद पूरी हुई। फोरलेन में परिवर्तन के आदेश के बाद एनएचआइए की तैयारियां जोर नहीं पकड़ पा रही थीं। वर्ष 2017 में प्रदेश में भी भाजपा की सरकार बनने के बाद तमाम विभागों में अटके अवरोध दूर किए जा सके और इसका निर्माण शुरू हो सका। लगभग 2500 करोड़ निर्माण की लागत से बनने वाले अप्रैल 2017 में शुरू इस फोरलेन की इस परियोजना को पूरा कर लेने की अवधि 31 अक्टूबर 2019 तय की गई। 30 माह यानी अक्टूबर 2019 में रोड, अंडरपास, पुल, बाइपास आदि का निर्माण पूरा करना था। समय सीमा लगभग पूरी होने के करीब है और काम अभी भी 65 फीसद शेष है। चार माह पूर्व कार्यदायी संस्था जेपी एसोसिएट्स पर आर्थिक संकट में फंस गई। इसके चलते तीन माह तक निर्माण ठप रहा। एनएचएआइ ने कार्यदायी एजेंसी जेपी एसोसिएट को काम में तेजी लाने के लिए कई बार नोटिस जारी किया। कोई सुधार न होने पर मार्च से भुगतान रोक दिया और उसके कार्यदायी एजेंसी बने रहने के औचित्य पर अंतिम फैसले के लिए उसकी फाइल दिल्ली हेडक्वार्टर मंगा ली गई। अंतत: एनएचएआइ ने कार्यदायी एजेंसी को बकाया भुगतान करते हुए तीन माह का और समय देने का फैसला लिया। अब जबकि कार्यदायी एजेंसी ने निर्माण कार्य शुरू कर दिया है तो प्रशासनिक अड़चनें खड़ी हो गई। फोरलेन में ली गई जमीनों का मुआवजा ही वितरित नहीं हुआ है। ऐसे में वहां पर काम कराने से एजेंसी ने हाथ खड़े कर दिए हैं। प्रशासनिक लापरवाही से फंसा मुआवजा का पेच

गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग-29 फोरलेन की औपचारिकताएं लगभग पूरी होने के बाद मुआवजे का पेच फंस गया है। पिछले चार माह से एक रुपये का भी मुआवजा किसी किसान को वितरित नहीं हुआ है। भूमि अध्याप्ति विभाग की तरफ से परिसंपत्तियों का मूल्यांकन पहले ही कराया जा चुका है। एनएचएआइ का दावा है कि पूरी धनराशि जिला प्रशासन को उपलब्ध कराई जा चुकी है। बावजूद इसके किसानों के मुआवजा वितरण में लगातार देरी की जा रही है। इसके चलते फोरलेन का निर्माण कार्य तेजी नहीं पकड़ पा रहा है। एक नजर में फोरलेन

कुल लागत : 2500 करोड़

लंबाई : 215 किमी-बाईपास

बड़े पुल : 09, छोटे पुल : 34

फ्लाईओवर : 15

ओवरब्रिज : 05

टोल प्लाजा : 03

रोड जंक्शन : 23 मऊ में मुआवजे की स्थिति

2000 - करोड़ कुल मुआवजे की धनराशि

1700 - करोड़ हुआ वितरण

240 - करोड़ रुपये विवादित स्थलों पर फंसा

60 - करोड़ रुपये का पिछले चार माह से नहीं हुआ वितरण

36 किमी - फोरलेन का हुआ निर्माण 13 दिन में कैसे होगा 94 किमी निर्माण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक गृह क्षेत्र गोरखपुर फोरलेन का निर्माण समय से नहीं हो पाएगा। केंद्र सरकार का निर्देश था कि अक्टूबर 2019 तक फोरलेन चलने योग्य तैयार हो जाए परंतु आंकड़े दूर-दूर तक इसके गवाही नहीं देते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-29 की कुल दूरी 215 किलोमीटर है। इसमें 85 किलोमीटर एनएएचआइ वाराणसी परिक्षेत्र तथा 130 किलोमीटर गोरखपुर परिक्षेत्र में आता है। बीते दो वर्षों में गोरखपुर परिक्षेत्र में मात्र 36 किलोमीटर फोरलेन का ही निर्माण हो पाया है। ऐसे में अक्टूबर माह के मात्र बचे 13 दिनों में 94 किलोमीटर का निर्माण करा पाना असंभव दिख रहा है। 'एनएएचआइ द्वारा मुआवजे की धनराशि मऊ प्रशासन को भेजी जा चुकी है। 60 करोड़ रुपये अविवादित जमीनों का है। जल्द अगर मुआवजा वितरण हो जाता तो वहां निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाता। जिससे केंद्र सरकार द्वारा तय की गई समय सीमा के अंदर कार्य पूरा किया जा सके'

-श्रीप्रकाश पाठक, परियोजना प्रबंधक एनएएचआइ, गोरखपुर। अधिग्रहित की गई भूमि में कई स्थानों पर विवाद की स्थिति है। इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा सुनवाई की तिथि रखी जाती है। सभी किसान समय से उपस्थित होकर अपने विवादों का निस्तारण करा लें, अपना मुआवजा ले जाएं। एनएचएआइ को भी चाहिए कि निर्विवादित हिस्सों पर वह अपना काम कराए और समय से कार्य पूर्ण करे।

-ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी, जिलाधिकारी।

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