रामकथा से संवर जाता है लोक-परलोक
कोपागंज विकास खंड के रामजानकी मंदिर मेला मैदान इंदारा में मां सरवस्ती सेवा ट्रस्ट की तरफ से श्रीरामकथा का आयोजन किया गया है। इसमें अयोध्या से पधारे कथावाचक अवधेश जी महाराज ने कहा कि श्रीरामकथा के श्रवण से दुराचारी जीवों का भी कल्याण हो जाता है। संसार में मनुष्य सुख तो प्राप्त कर सकता है लेकिन उसे शांति नहीं मिलती। मनुष्य जब श्रीरामकथा रूपी सागर में गोता लगाता है तो उसका लोक व परलोक दोनों ही सुखद हो जाता है।
जागरण संवाददाता, अदरी (मऊ) : कोपागंज विकास खंड के रामजानकी मंदिर मेला मैदान इंदारा में मां सरवस्ती सेवा ट्रस्ट की तरफ से श्रीरामकथा का आयोजन किया गया है। इसमें अयोध्या से पधारे कथावाचक अवधेश जी महाराज ने कहा कि श्रीरामकथा के श्रवण से दुराचारी जीवों का भी कल्याण हो जाता है। संसार में मनुष्य सुख तो प्राप्त कर सकता है लेकिन उसे शांति नहीं मिलती। मनुष्य जब श्रीरामकथा रूपी सागर में गोता लगाता है तो उसका लोक व परलोक दोनों ही सुखद हो जाता है।
उन्होंने कहा कि नश्वर चीजों को पाने के लिए मनुष्य तमाम अनैतिक कार्य करता है लेकिन उसे शांति नहीं मिलती है। श्रीरामकथा सुनने से बुद्धि ठीक हो जाती है।भगवान शंकर जब कैलाश पर्वत छोड़कर मां सती के साथ कथा श्रवण करने के लिए चले, कुंभज ऋषि के आश्रम पंचवटी पहुंचे। वहां महर्षि ने भगवान शंकर का खूब आदर किया। कुंभज ऋषि द्वारा उनका आदर करने की प्रक्रिया को देख कर मां सती को लगा कि जो हमें कथा सुनाने वाले हैं, वही मेरे पति का आदर कर रहे हैं तो कथा क्या सुनाएंगे। यह सोच कर यह सोचकर उनके मन में कथा के प्रति निरादर का भाव उत्पन्न हुआ लेकिन भगवान शंकर ने मन लगाकर कथा सुनी। 'रामकथा मुनि बरज बखानी, सुनी महेश परम सुख मानी', शंकर भगवान ने सुनी तो उनके हर इच्छाओं की पूर्ति हुई। भगवान के दर्शन हुए लेकिन सती अंबा ने नहीं सुनी तो उनको नहीं दर्शन नहीं हुए। अंत में उनको अपने जीवन का आत्मदाह करना पड़ा। श्रोताओं में अभिषेक ¨सह, निरंजन ¨सह, राणा प्रताप, रवि गुप्ता, सुमन, बाबू उदयभान, अंकुर ¨सह, बजरंगी ¨सह उर्फ बज्जू आदि थे।