मरम्मत व स्टाफ के अभाव में 25 फीसदी बसें वर्कशाप में खड़ी, यात्री मुश्किल में

जागरण संवाददाता मऊ मरम्मत व स्टाफ के अभाव में रोडवेज की 25 फीसद बसें वर्कशाप में खड़ी

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 07:24 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 07:24 PM (IST)
मरम्मत व स्टाफ के अभाव में 25 फीसदी बसें वर्कशाप में खड़ी, यात्री मुश्किल में
मरम्मत व स्टाफ के अभाव में 25 फीसदी बसें वर्कशाप में खड़ी, यात्री मुश्किल में

जागरण संवाददाता, मऊ : मरम्मत व स्टाफ के अभाव में रोडवेज की 25 फीसद बसें वर्कशाप में खड़ी हो गई हैं। इससे यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

किसी तरह रामभरोसे 35 बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। इसी से विभाग प्रतिमाह के लक्ष्य की पूर्ति कर रहा है। निगम को बार-बार लिखने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि रोडवेज की बसें कहां खड़ी हो जाएंगी, कुछ कहा नहीं जा सकता है। इससे यात्री रोडवेज बसों पर बैठना मुनासिब नहीं समझते हैं। अगर बैठ गए तो उन्हें फजीहत उठानी पड़ती है।

मऊ रोडवेज पर कुल 53 बसें हैं। इनको चलाने के लिए 77 चालक व 79 परिचालक तैनात हैं। यहां चालक के 34 व परिचालक के 33 पद रिक्त चल रहे हैं। यहां का प्रति माह लक्ष्य 5.26 लाख रुपये हैं। डिपो की एक दर्जन बसें पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं। किसी का ब्रेक, किसी की स्टेयरिग तो किसी का एक्सीलेटर ही काम नहीं कर रहा है। इसकी वजह से इसको वर्कशाप पर खड़ा कर दिया गया है। यहीं नहीं यहां की एक एसी बस को छोड़ दिया जाए तो सभी बसें आठ से दस लाख किलोमीटर तक चल चुकी हैं। यानी हर गाड़ी का मेंटीनेंस जरूरी है। निगम की तरफ से मेंटीनेंस की सामग्री नहीं भेजी जा रही है। इधर स्टाफ की कमी से ठीक बसें भी वर्कशाप में खड़ी कर दी गई हैं। पूर्व एआरएम विवेकानंद त्रिपाठी ने कई बार संविदा चालकों व परिचालकों की नियुक्ति के लिए प्रयास किए लेकिन चालक परिचालकों की कमी पूरा नहीं हो पाई। इसकी वजह से बसें खड़ी हैं। इससे विभाग को प्रति माह लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। केवल रामभरोसे रोडवेज की गाड़ी खिच रही है।

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30 हजार प्रतिदिन है एक बस की कमाई

एक बस प्रतिदिन लगभग 30 हजार रुपये तक आमदनी करता है। ऐसे में 18 बसें न चलने से लगभग पांच लाख 40 हजार रुपये प्रतिमाह का घाटा उठाना पड़ रहा है। अगर सारी बसें निगम दुरुस्त करा दे और पर्याप्त स्टाफ नियुक्त कर दिया जाए तो काफी हद तक रोडवेज की स्थिति सुधर सकती है।

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निगम को कई बार लिखा गया लेकिन पर्याप्त मेंटेनेंस सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। इसकी वजह से आएदिन बसें खराब हो जा रही है। स्टाफ भी कम है। इससे सारी बसों को चलाया नहीं जा पा रहा है। इससे विभाग को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

--रमेश सिंह, एआरएम मऊ।

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