597 ग्राम पंचायतों से निकले 25 करोड़ रुपये

दैनिक जागरण की खबर 357 गांवों से निकले पांच करोड़ पर शुरू हुई जांच के परिणाम सामने आने लगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 05:56 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 05:56 PM (IST)
597 ग्राम पंचायतों से निकले 25 करोड़ रुपये
597 ग्राम पंचायतों से निकले 25 करोड़ रुपये

जागरण संवाददाता, मऊ : दैनिक जागरण की खबर 357 गांवों से निकले पांच करोड़ पर शुरू हुई जांच के परिणाम सामने आने लगे हैं। मामला यहीं तक नहीं है। जिला प्रशासन ने जब इस खबर का संज्ञान लेकर सभी ग्राम पंचायतों के बैंक स्टेटमेंट तलब किए तो पता चला कि 01 से लेकर 31 दिसंबर के बीच 597 ग्राम पंचायतों से 25 करोड़ रुपये निकाल लिए गए हैं।

दरअसल, प्रदेश में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर की रात 12 बजे समाप्त हो गया। ग्राम पंचायतों के भंग होने से पूर्व ग्राम निधि के खातों को खाली करने का खेल शुरू हो गया। इसमें तत्कालीन प्रधानों व ग्राम सचिवों ने बिना कागजी कोरम पूरा किए ही जमकर अनियमितता किया। ग्राम निधि के खाते में आए स्वच्छता पेयजल के मद में केंद्रीय 14वां वित्त एवं परिसंपत्तियों की रखरखाव के लिए राज्य सरकार से मिले राज्यवित्त की पूरी धनराशि को बिना काम कराए व स्टीमेट व एमबी कराए ही प्राइवेट फर्मों के खाते में भेज कर उतार लिया गया। इसकी भनक न तो जिला पंचायत राज विभाग को हुई और नहीं विकास भवन को। पहले पेमेंट, बाद में बना स्टीमेट

जनपद के अधिकतर ग्राम पंचायतों में कार्यकाल पूर्ण होने के पहले केंद्रीय व राज्यवित्त मद से धड़ाधड़ पेमेंट हुए हैं। इसके लिए न तो ग्राम पंचायतों ने आइडी जनरेट कराई और नहीं स्टीमेट बनाया गया। साथ ही किसी काम की एमबी यानि मेजरमेंट बुक भी तैयार नहीं किया गया। अनियमितता के विरुद्ध अभियान चलाया और पूरे जनपद में जांच बैठ गई तो ग्राम पंचायतों ने आनन-फानन स्टीमेट तैयार कर तकनीकी सहायकों के सहारे फर्जी एमबी कराने शुरू कर दिए। अपनी गर्दन बचाने के लिए अब ग्राम पंचायतों धरातल पर काम कराने में जुट गई हैं। सैकड़ों ग्राम पंचायतों में अधिकतर भुगतान कार्यकाल खत्म होने के बाद हुए। वैसे भी डोंगल लगाने के एक सप्ताह या 10 दिन बाद ही खातों में धनराशि जाती है। इसको देखते हुए ग्राम पंचायतों ने पहले ही चालाकी किया कि भुगतान का डोंगल लगा दिया।

जांच के नाम महज खानापूर्ति

28 दिसंबर को जनपद के दौरे पर आए नोडल अधिकारी मुकेश मेश्राम ने फतहपुर मंडाव के रमऊपुर का निरीक्षण किया था। यहां नाली निर्माण के नाम पर लागत से दोगुना धनराशि काम पूर्ण होने के पूर्व ही उतारी गई मिली। इस पर नोडल अधिकारी ने पूरे ग्राम पंचायतों के जांच के आदेश दिए। इस पर जिला प्रशासन ने आनन-फानन 40 जिला स्तरीय अधिकारियों व तकनीकी विशेषज्ञों की टीम गठित कर जांच शुरू कराई परंतु अधिकतर गांवों में यह जांच महज खानापूर्ति ही दिखाई पड़ रही है।

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