समाज की उन्नति के लिए वेदों में बताए रास्ते में चलें
आर्य विद्वान स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने कहा कि समाज को अगर शारीरिक आत्मिक व सामाजिक उन्नत करनी है तो वेदों में बताए गए रास्तों पर चलना होगा।
संवाद सूत्र, (मथुरा)कोसीकलां : आर्य समाज के वार्षिकोत्सव के चार दिवसीय वार्षिकोत्सव के अंतिम दिन शुक्रवार को आर्य विद्वान स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने कहा कि समाज को अगर शारीरिक, आत्मिक व सामाजिक उन्नत करनी है, तो वेदों में बताए गए रास्तों पर चलना होगा।
उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने मानव कल्याण के लिए 10 नियम बताए हैं। यह सभी नियम वेदों में निहित हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर के
संबंध में बहुत मतभेद हैं, लेकिन अगर वेदों के अनुसार देखा जाए, तो ईश्वर ही सब कुछ है। वेद ही ईश्वर के प्रदत्त ग्रंथ हैं। आचार्य श्यामवीर शास्त्री ने कहा कि ईश्वर व वेद को न मानने वाला नास्तिक होता है। कल्याण देव व कल्याणी देवी ने भजनों के माध्यम से ईश्वर व वेदों की महत्ता पर प्रकाश डाला। गायक उदयवीर सिंह, लखन सिंह ने कहा कि आत्मज्ञान से बढ़कर कोई सुख नहीं है। आत्मज्ञान सबसे बड़ा ज्ञान है। आत्मज्ञानी यह अनुभव करता है कि समस्त
पदार्थों में परमात्मा व्यापक है। वह अंदर भी है और बाहर भी हैं। सर्वत्र
परमात्मा के दर्शन करने वाला शोक व मोह से ऊपर उठ जाता है।
कार्यक्रम में प्रधान डा. अमर सिंह पौनिया, पूर्व प्रधान शरद आर्य
गिडोहिया, ओमप्रकाश आर्य, विजय आर्य, दीनदयाल, सत्यप्रकाश, महेश आर्य,धर्मप्रकाश, मनोज आर्य, अशोक कुमार, डा.प्रकाश आर्य, अमित कुमार,
महेंद्र आर्य मौजूद रहे।