द्वारिकाधीश मंदिर में हुआ तुलसी-शालिग्राम का विवाह

द्वारिकाधीश मंदिर में तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन किया गया। इस आयोजन के साथ मांगलिक कार्य शुरू हो गए।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 05:51 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 05:51 AM (IST)
द्वारिकाधीश मंदिर में हुआ तुलसी-शालिग्राम का विवाह
द्वारिकाधीश मंदिर में हुआ तुलसी-शालिग्राम का विवाह

संवाद सहयोगी, मथुरा : द्वारिकाधीश मंदिर में तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन किया गया। इस आयोजन के साथ मांगलिक कार्य शुरू हो गए। मंदिर में आस्था की बयार बही। इस वर्ष कोरोना के कारण जागरण का आयोजन नहीं हो सका।

द्वारिकाधीश मंदिर में गुरुवार शाम साढ़े चार से पांच बजे तक मंडप के दर्शन हुए। भगवान के विवाह के लिए मंडप भी आकर्षक सजाया गया। इस आयोजन में तुलसी-शालिग्राम का विवाह हुआ। भक्त ठाकुरजी की जय-जयकार करते रहे। भक्तों ने भी विवाह की रस्म निभाई। तुलसीजी का भी श्रृंगार किया गया। इस विवाह आयोजन के बाद मांगलिक कार्य भी शुरू हुए। देवोत्थान एकादशी से ही देवताओं का शुभ कार्य में आना प्रारंभ होता है। इस दिन रात में जागरण का आयोजन किया जाता था, लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण नहीं किया गया है। शाम छह से सात बजे तक ठाकुरजी ने दर्शन दिए। इसके बाद सभी आयोजन मंदिर में अंदर ही हुए। मीडिया प्रभारी एड. राकेश तिवारी ने बताया कि गुरुवार को तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन किया गया। इस वर्ष जागरण का आयोजन नहीं हो सका है। मंदिर अधिकारी लक्ष्मण प्रसाद पाठक, मुखिया बृजेश कुमार, सुधीर कुमार, त्रिलोकीनाथ, कमला शंकर, राजीव चतुर्वेदी, बीएन, अजय भट्ट, बृजेश चतुर्वेदी, बनवारीलाल, अमित चतुर्वेदी ने व्यवस्थाओं को संभाला। तुलसी बनी दुल्हन तो दूल्हा बने शालिग्राम

वृंदावन: सप्तदेवालयों में शामिल राधादामोदर मंदिर में देवोत्थान एकादशी गुरुवार को मनाई गई। देवोत्थान एकादशी पर तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन हुआ। जिसमें श्रद्धालुओं ने शामिल होकर ठाकुरजी के विवाह समारोह के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया।

देवोत्थन एकादशी पर मंदिर देवालयों में वैदिक विधान पूर्वक तुलसी-शालिग्राम का विवाहोत्सव श्रद्धा के हुआ। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा उपरांत कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर निद्रा से जागते हैं। इसी दिन से भारतीय ज्योतिष अनुसार शुभ मुहूर्त का शुभारंभ भी होता है। साथ ही तुलसी-शालिग्राम भगवान के विवाह का भी विशेष महत्व माना गया है। नगर के कई प्रमुख मंदिर देवालयों में तुलसी -शालिग्राम विवाह का वैदिक अनुष्ठान पूर्वक भव्य आयोजन किया गया। प्राचीन राधादामोदर मंदिर में विराजित भगवदस्वरूप शालिग्राम को दूल्हा स्वरूप में श्रृंगार कर सुसज्जित चौकी पर विराजमान कराया। लक्ष्मी स्वरूपा तुलसी को दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार कर शालिग्राम के समीप विराजित कर वेदपाठी विप्रो के मंत्रोच्चार के मध्य गठबंधन कराया। दूसरी तरफ महिलाओं का मंगलगान हो रहा था। मंदिर को विविध प्रकार के पुष्पों व केले के पत्तों से सजाया गया था। मंदिर सेवायत वर व वधु पक्ष की रस्मोरिवाज का उत्साह पूर्वक निर्वहन कर रहे थे। इसी श्रृंखला में प्राचीन सवामन शालिग्राम मंदिर में भी तुलसी-शालिग्राम विवाहोत्सव का भव्य आयोजन वैदिक परंपरानुसार किया गया। मंदिर सेवायत महंत श्रीराम बौहरे व श्रीकांत बोहरे ने बताया तुलसी-शालिग्राम विवाह करने पर कन्यादान के समकक्ष पुण्य की प्राप्ति होती है।

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