बंदिश हटी, अब उद्योग को भी मिलेगी आक्सीजन
कुल क्षमता का 30 फीसद गैस उद्योग को कराई जाएगी मुहैया संक्रमण की दूसरी लहर के साथ ही उद्योग को आक्सीजन दिए जाने पर लगाया गया था प्रतिबंध
जागरण संवाददाता, मथुरा: कोरोना संक्रमण की दर नीचे आने के साथ ही हालात में सुधार आना शुरू हो गया है। जहां एक ओर अस्पतालों में अब बेड खाली हो गए हैं, वहीं आक्सीजन की भरपूर आपूर्ति होने के बाद से स्टोरेज क्षमता फुल हो चुकी है। आपूर्ति और मांग के बीच सकारात्मक अंतर होने के कारण अब इंडस्ट्री के लिए आक्सीजन की आपूर्ति शुरू कर दी गई है। जिसके साथ ही अब उद्योग का पहिया भी आसानी से घूम सकेगा। पिछले डेढ़ माह से औद्योगिक क्षेत्र में आक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई पर रोक लगी हुई थी।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का असर अप्रैल में दिखने लगा था। मई माह में तो शहर में त्राहि-त्राहि मची हुई थी। हालात गंभीर होते चले गए। बड़ी संख्या में मरीजों से हास्पिटल के बेड फुल हो गए। आम आदमी को न तो बेड मिल पा रहा था और नहीं आक्सीजन। एक-एक दिन में 18 टन तक आक्सीजन की खपत होने लगी। एक-एक सिलेंडर के लिए जिले में मारामारी मची हुई थी, जिसके चलते सबसे पहले जिम्मेदारों ने कोरोना कर्फ्यू की घोषणा की तो प्रशासनिक अधिकारियों ने जिले में औद्योगिक क्षेत्र में सप्लाई होने वाली आक्सीजन गैस पर भी प्रतिबंध लगा दिया। जिससे जिले में सिलेंडर की कालाबाजारी शुरू हो गई। जिसे रोकने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई। जिन्होंने रिफाइनरी स्थित दोनों रिफलिग प्लांट पर आठ-आठ घंटे की ड्यूटी दी। इतना ही नहीं जरूरतमंद को ही आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया गया। इसके लिए मरीज की पाजिटिव रिपोर्ट भी चेक की जाने लगी। ऐसे में उद्योग पूरी तरह से बंद हो गया। बहरहाल, अब जिले में स्थिति सामान्य हो गई है। जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने आक्सीजन प्लांट संचालकों को 30 फीसद गैस उद्योग से जुड़े लोगों को देने के निर्देश जारी कर दिए हैं। - अब यह उद्योग कर सकेगा काम :
जिले में गिलेट का काम बड़े स्तर पर होता है, जिसके मजदूरों को काम करने के लिए आक्सीजन गैस की सबसे अधिक जरूरत होती है। इसके अलावा कापर इंडस्ट्री में भी आक्सीजन सिलेंडर खरीदते हैं। यह सभी कार्य ठप पड़े हुए थे। अब एक बार फिर यह कार्य शुरू हो सकेंगे। उल्लेखनीय है कि जिले में आक्सीजन रिफलिग के दो प्लांट हैं। इन दोनों प्लांट की क्षमता 20-20 टन है। - 20 हजार लोगों ने ली राहत::
प्रशासनिक अधिकारियों के आदेश के साथ ही जिले में करीब 20 हजार लोगों ने राहत की सांस ली है। इनमें मजदूरों से लेकर औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े कारोबारी भी शामिल हैं। क्योंकि मजदूर अपने घर माल ले जाते हैं और वह परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर काम को अंजाम देते हैं। माल तैयार होने पर कारोबारी को मुहैया करा देते हैं। आक्सीजन गैस न मिलने की वजह से इन सभी लोगों के सामने संकट पैदा हो गया था। --उद्योग से जुड़े लोगों को अब आक्सीजन गैस उपलब्ध कराना शुरू कर दिया गया है। हालांकि गैस की सप्लाई करने वाले दोनों प्लांट संचालकों को कुल क्षमता का 30 फीसद उद्योग तथा 70 फीसद मेडिकल के लिए स्टाक रखने के निर्देश दिए गए हैं।
सुरेंद्र यादव, डिप्टी कलक्टर
02 जिले में रिफलिग प्लांट हैं।
20 टन एक प्लांट की है क्षमता।
30 फीसद गैस उद्योग को कराई जाएगी मुहैया।
70 फीसद मेडिकल के लिए रहेगी।
18 टन प्रतिदिन मई में हुई थी आक्सीजन की खपत