Mathura ShriKrishna JanamBhoomi: राम जन्मभूमि के बाद अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला पहुंचा कोर्ट, शाही मस्जिद हटाने की मांग

ShriKrishna JanamBhoomi Mathura मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर कोर्ट में सिविल सूट दायर किया गया है। यह केस सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन के साथ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री ने दायर किया है। ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 11:31 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 10:17 AM (IST)
Mathura ShriKrishna JanamBhoomi: राम जन्मभूमि के बाद अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला पहुंचा कोर्ट, शाही मस्जिद हटाने की मांग
वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री एवं छह अन्य लोगों ने दायर किया है।

मथुरा, जेएनएन। Mathura ShriKrishna JanamBhoomi: भगवान राम की नगरी अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण कार्य प्रारंभ होने के बीच अब भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण विरामजमान के नाम से दीवानी का केस दर्ज किया गया है। यह वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर' के रूप में जो अगले दोस्त रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया है। 

रामनगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान का मामला कोर्ट पहुंच गया है। श्रीकृष्ण विराजमान व सात अन्य की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दायर दावे में यहां श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक देने और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की है। इसके साथ ही मस्जिद समिति और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के बीच हुए समझौते को अवैध बताया गया है।

यहां पर वादियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने शुक्रवार को दावा दायर किया। इनमें से विष्णु शंकर जैन, उनके पिता हरिशंकर जैन के अलावा वादी रंजना अग्निहोत्री, शिवा जी सिंह और प्रवेश कुमार दावा दायर करने शुक्रवार को कोर्ट आए थे। अब यहां पर 57 पेज के इस दावे को स्वीकार या खारिज करने का निर्णय कोर्ट को करना है। 

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को जमीन देने को गलत बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दावा पेश किया गया है। श्रीकृष्ण विराजमान, अस्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि, उनकी सखा लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री व त्रिपुरारी त्रिपाठी, दिल्ली निवासी कृष्ण भक्त प्रवेश कुमार, करुणेश कुमार शुक्ला व शिवा जी सिंह, सिद्धार्थ नगर निवासी कृष्ण भक्त राजमणि त्रिपाठी की ओर से पेश किए दावे में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी। वादी के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम पर है। ऐसे में सेवा संघ द्वारा किया गया समझौता गलत है। उन्होंने मस्जिद को हटाने की मांग की है।

यह हैं वादी 

श्रीकृष्ण विराजमान, अस्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि, श्रीकृष्ण की सखा लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री व त्रिपुरारी त्रिपाठी, दिल्ली निवासी कृष्ण भक्त प्रवेश कुमार, करुणेश कुमार शुक्ला व शिवा जी ङ्क्षसह, सिद्धार्थ नगर निवासी कृष्ण भक्त राजेशमणि त्रिपाठी।  

यह हैं प्रतिवादी 

यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंध समिति, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान। 

स्वीकार या खारिज करना कोर्ट का काम 

जिला शासकीय अधिवक्ता, सिविल, मथुरा, संजय गौड़ ने कहा कि दावा दायर करने के बाद अदालत की ओर से प्रतिवादी को नोटिस जारी किया जाता है। इस पर प्रतिवादी अपना पक्ष रखता है। पक्ष सुनने के बाद अदालत दावा स्वीकार करने या खारिज करने की कार्यवाही करती है।

यह है दावा

सन्1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी। जिस जमीन पर स्थित है, वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम पर है। ऐसे में सेवा संस्थान का किया गया समझौता गलत है। वर्ष 1618 में राजा वीर सिंह ने इस स्थान पर कटरा केशव देव मंदिर 33 लाख रुपये में बनवाया था। वर्ष 1670 में औरंगजेब ने मंदिर को आंशिक क्षतिग्रस्त किया और मस्जिद का निर्माण किया। पांच अप्रैल, 1770 को गोवर्धन में मराठा और मुगल के बीच जंग हुई और मराठा जीत गए। मराठा ने दोबारा कटरा केशव देव मंदिर का जीर्णोद्धार किया और मस्जिद को हटा दिया। 1803 में अंग्रेजों ने अपने कब्जे में पूरा इलाका लिया।

1815 में इस 13.37 एकड़ जमीन को वाराणसी के राजा पटनीमल ने नीलामी में खरीद लिया। 21 फरवरी, 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बन गया। राजा पटनीमल के परिवार ने यह जमीन ट्रस्ट को दे दी। 12 अक्टूबर, 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंध समिति के बीच जमीन को लेकर फर्जी समझौता हुआ कि मस्जिद जितनी जमीन पर बनी है, उसे स्वीकार कर लिया गया। तर्क दिया गया है कि पूरी जमीन राजा पटनीमल ने ट्रस्ट को दी थी, फिर सेवा संस्थान को समझौते का अधिकार ही नहीं है।

इसके पहले मथुरा के सिविल जज की अदालत में एक और मामला दाखिल हुआ था। जिसे श्रीकृष्ण जन्म सेवा संस्थान और ट्रस्ट के बीच समझौते के आधार पर बंद कर दिया गया। 20 जुलाई 1973 को इस सम्बन्ध में अदालत ने एक निर्णय दिया था। अभी के विवाद में अदालत के उस फैसले को रद करने की मांग की गई है। इसके साथ ही यह भी मांग की गई है कि विवादित स्थल को बाल श्रीकृष्ण का जन्मस्थान घोषित किया जाए। 

अभी कुछ दिन पहले प्रयागराज में अखाड़ा परिषद की बैठक में साधु-संत मथुरा कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर चर्चा की थी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मथुरा की ईदगाह मस्जिद तथा काशी की ज्ञानवापी मस्जिद को हटाने को अपने एजेंडा में शामिल किया है। संतों ने काशी-मथुरा के लिए लामबंदी शुरू भी कर दी है। अखाड़ा परिषद ने प्रयागराज की अपनी बैठक में काशी और मथुरा के मंदिरों को मुक्त कराने का निर्णय लिया था। मथुरा में जिस भूमि पर ईदगाह मस्जिद है, उस भूमि को श्रीकृष्ण जन्मभूमि कहा जाता है।  

अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन कराने वाले वृंदावन के मुख्य पंडित गंगाधर पाठक ने पूजा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की थी कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ एवं मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि भी मुक्त होना चाहिए।

chat bot
आपका साथी